एक मां ही ऐसी ममता की मूरत है। जो अपने बच्चों को पालने पोसने के लिए हर संघर्ष से लड़ने के लिए तैयार रहती है ।वह हर वह परिस्थिति में आगे बढ़ने के लिए तैयार रहती है जिससे उसके बच्चों का भविष्य बन सके अपने बच्चों को एक अच्छी राह दिखा सके ।एक मां जब 9 महीने अपने बच्चे को पेट में रखती है तब भी बहुत तकलीफों से लड़ती है लेकिन मुस्कुराती है ।जब बच्चा बड़ा होता है तब उसकी पढ़ाई के लिए उसके सपने को साकार करने के लिए पूरी दुनिया से लड़ाई लड़ती है ।तो आज एक मां ऐसी ही लड़ाई लड रही हैं और अपने चार बच्चों का पालन पोषण खुद कर रही हैं।
पटना के अनिशाबाद की रहने वाली अर्चना पांडे बिहार की रहने वाली हैं देखिए कैसे बच्चो का पालन पोषण करती हैं ।
मुश्किलों से आगे बढ़कर ही जीत हैं।
अपनी मुश्किलों से लड़कर जो लोग आगे बढ़ते हैं वो अपने पीछे चल रही पीढ़ी के लिए एक मिसाल और प्रेरणा बन जाते हैं. बिहार को हमने तमाम नेताओं, आईपीएस/आईएएस और बाहुबलियों के नाम से जाना है लेकिन यहां से किसी महिला का किसी क्षेत्र में पहल करना अन्य महिलाओं के लिए एक हिम्मत की तरह है. बिहार की अर्चना पांडेय ने भी एक नई शुरुआत कर अपने जैसी अन्य महिलाओं को बिहार में सशक्त बनाने का एक नया रास्ता खोला है.
चार बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई।
पटना के अनिशाबाद की रहने वाली अर्चना पांडे बिहार की पहली महिला कैब ड्राइवर हैं। अर्चना अपनी तीन बेटियों और एक बेटे का पालन पोषण कैब चलाकर ही करती हैं। अर्चना ने खुद काम करके अपने चार बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी उठाई है। अर्चना के इस कदम की लोग सराहना कर उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं। अर्चना को बेरोजगारी का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कुछ अलग राह चुनी और आत्मनिर्भर बन गईं। अर्चना पिछले दो साल से कैब चला रहीं हैं। अर्चना बिहार से कैब लेकर 7 अलग-अलग राज्यों में भी जा चुकी हैं। अर्चना ने बताया कि उन्हें समाज के तानों की कोई फिक्र नहीं है।
बिहार की पहली महिला कैब ड्राइवर अर्चना का कहना है कि उनके चारों बच्चों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। उन्होंने पहले प्राइवेट नौकरी की, इसके बाद खुद का बिजनेस किया, लेकिन किसी कारण से सफल नहीं हो पाई। इसके बाद समाज के तानों की परवाह किए बगैर लोन पर मारुति 800 निकाली और कैब ड्राइवर बन गईं। अर्चना कहती हैं कि उनके इस काम के बाद बहुत लोग ताने देते हैं तो कुछ लोग सराहना भी करते हैं। अर्चना कहती हैं कि जो लोग मेरी सराहना करते हैं, उन्हें शुक्रिया, लेकिन जो लोग कुछ कहते रहते हैं, उन्हें मैं नोटिस नहीं करती हूं।
अपनी जैसी महिलाओं की करना चाहती हैं मदद।
अर्चना पांडे कहती हैं कि उन्होंने खुद को आत्मनिर्भर बनाया है, लेकिन बिहार में कई महिलाएं हैं, जो आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं. अगर वो महिलाएं ट्रेनिंग लेना चाहती हैं तो उन्हें ट्रेंड करूंगी. अर्चना कहती हैं कि मैं आगे और भी गाड़ियां लोन पर निकालूंगी, जिसके बाद और महिलाओं को इस क्षेत्र में रोजगार दूंगी. मेरा सपना है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को रोजगार दे सकूं.