मध्यप्रदेश में इसी साल चुनाव का बिगुल बज चुका हैं।तो ऐसे में भाजपा को मध्यप्रदेश में एक बड़ा झटका लगा हैं।मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.कैलाश जोशी के पुत्र और शिवराज सरकार में मंत्री रहे दीपक जोशी शनिवार को भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लेंगे। वे पिता की तस्वीर लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के भोपाल स्थित श्यामला हिल्स स्थित आवास पर समर्थकों के साथ पहुंचकर कांग्रेस की सदस्यता लेंगे।
कैलाश जोशी बतौर सीएम कर चुके काम।
कैलाश जोशी बीजेपी के कद्दावर नेता थे। वो राज्य के पहले गैर कांग्रेसी सीएम थे। जनसंघ की स्थापना से लेकर बीजेपी के गठन तक कैलाश जोशी का बड़ा योगदान रहा है। कैलाश जोशी देवास जिले की बागली विधानसभा सीट से 8 बार विधायक रहे। कैलाश जोशी भोपाल से सांसद भी रहे। कैलाश जोशी ने भाजपा में विधायक और मुख्यमंत्री के रूप में बहुत काम किया
कैलाश जोशी जब मध्यप्रदेश के सीएम थे तो उनके कामों से ज्यादा चर्चा उनकी एक रहस्यमयी बीमारी को लेकर होती थी।पर आज उनके ही बेटे के साथ बीजेपी का ये रवैया बीजेपी को भारी पड़ गया।
ऐसा कहा जाता है कि कैलाश जोशी को सीएम बनने के बाद एक अनोखी बीमारी हो गई थी। कैलाश जोशी राज्य के नौंवे और पहले गैर कांग्रेसी सीएम थे। कैलाश जोशी 24 जून 1977 को एमपी के सीएम बने थे। बाद में बीमारी के कारण उन्होंने 17 जनवरी 1978 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
शिवराज ने पिता का स्मारक बनाने नहीं दी जमीन।
दीपक जोशी ने चर्चा में कहा- मेरे पिता मुख्यमंत्री रहे। भोपाल से सांसद रहे। वहां से वोटर रहे। उनके नाम पर कुछ नहीं। उनका स्मारक बनाने की मांग की, तो कमलनाथ जी ने पूछा- बताइए कहां जमीन चाहिए। हाटपिपलिया में तीन महीने में जमीन का आवंटन कर दिया। शिवराज जी को 30 महीने स्मारक की स्वीकृति देने में लग गए।
दीपक जोशी का झलका दर्द गिरे आंसू।
दीपक जोशी ने प्रेसवार्ता में दर्द बयां किया की आज उनके पास भाजपा छोड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं हैं।जो पार्टी अपने कार्यकर्ता का सम्मान नही करती वहा रहना उचित नही।
दीपक जोशी ने यह आरोप लगाया हैं की उन्हें भाजपा के किसी कार्यक्रम में नही बुलाया जाता था और बुलाया गया तो ऐसे इग्नोर किया जेसे वो आतंकी हो आपको बता दे की दीपक जोशी बीजेपी के सरकार मैं शिक्षा मंत्री के रूप में काम कर चुके हैं।पर कार्यकाल खत्म होने के बाद से दीपक जोशी को पार्टी ने कभी कुछ समझा ही नहीं।जोशी ने अपनी बात मैं पार्टी को लेकर बहुत कुछ कहा।उनकी आंखो से आंसू भी झलक गए।
भाजपा सिर्फ भ्रष्टाचार की राजनीति करती।
दीपक जोशी ने कहा पिता मुख्यमंत्री रहे और मैं मंत्री पर आज भी 3 कमरे के मकान में रहता हु।मेरे पास जमीन भी पिता की दी हुई हैं।मेने राजनीति में कभी भ्रष्टचार नही किया।पर आज सिर्फ भ्रष्टचार की राजनीति हो रही हैं। जोशी जी कई बार देवास जिले की प्रधानमंत्री आवास योजना के घोटाले को लेकर आमने सामने आए पर उनका कहना हैं की उससे कुछ हुआ नहीं।ये सरकार मैं करोड़ों का घोटाला हैं।पर अब मैं सब उजागर करूंगा।
शिवराज के सामने बुधनी से लड़ने को तैयार।
जोशी ने मीडिया के सामने यह साफ कर दिया कि वे किसी पद या टिकट के लिए कांग्रेस में शामिल नहीं हो रहे हैं। वे चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन यदि पार्टी कहेगी तो शिवराज सिंह चौहान के सामने बुधनी से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। देवास जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस इस बार दम दिखाएगी। मेरे पिता ने शुचिता की राजनीति की, लेकिन अब भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है। सरकार में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा हो गई है। देवास जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना में गड़बड़ी को लेकर कई बार प्रश्न उठाए, पर जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को परेशान किया जा रहा है। सत्ता और संगठन के समक्ष कई बार यह बात रखी, पर कोई सुधार नहीं हुआ, इसलिए पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है।
भीड़भाड़ में नहीं, सादा समारोह में होंगे शामिल।
दीपक जोशी ने समर्थकों से कहा है कि वे कार्यक्रम के लिए भोपाल न जाएं। दीपक ने कहा- पिताजी, कैलाश जोशी को राजनीति का संत कहा जाता है। वे सदैव दिखावे से दूर रहे, इसलिए कांग्रेस में शामिल होने वाले आयोजन में दीपक बिना किसी भीड़ भड़ाके के अकेले शामिल होंगे। हालांकि उनके साथ बीजेपी के कुछ पदाधिकारी भी शामिल हो सकते हैं।
वरिष्ठ नेता से भी नही माने जोशी।
उधर, पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने और पार्टी के कई नेता फिर चाहे खुद शिवराज ही क्यों न हो सबने जोशी को मनाने का अंतिम प्रयास किया।रघुनंदन शर्मा ने ट्वीट कर उनसे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने और पिता के सींचे हुए वट वृक्ष की छांव में रहने का आग्रह किया। साथ ही कहा कि कैलाश जोशी हमेशा कहा करते थे कि अपने परिवार में जो भी जाने अनजाने भूल चूक हुई हो तो उसे मिल बैठकर बात कर सुधार करना चाहिए, न कि परिवार से दूर जाना चाहिए। मैं व्यक्तिगत प्रयास करूंगा कि आपके सम्मान में कमी न आए। मुझे भरोसा है कि मेरे आग्रह पर पुनर्विचार जरूर करोगे।