उतराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की घोषणा हो चुकी है। बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए मंदिर के कपाट 25 अप्रैल से खोल दिए जायेगे। केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 20 मिनट में खुलेंगे।
महाशिवरात्रि पर उखीमठ में परंपरागत पूजा-अर्चना के बाद पंचांग की गणना के बाद केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने को लेकर मुहूर्त निश्चित किया गया। 21 अप्रैल को बाबा की उत्सव डोली ऊखीमठ से केदारनाथ रवाना होगी।
विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम के कपाट भी इस वर्ष 27 अप्रैल को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर खुलेंगे। बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर टिहरी में नरेंद्रनगर के राजमहल में धाम के कपाट खुलने की तिथि तय की गई। समारोह में पंचांग गणना के बाद विधि विधान के साथ कपाट खुलने की तिथि तय की गई। वहीं, गाडू घड़ा की तेल कलश यात्रा 12 अप्रैल को निकाली जाएगी।
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर
देश के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है केदारनाथ मंदिर। ये धाम मंदाकिनी नदी के किनारे 3581 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ये उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है. जो पत्थरों के शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है. ये ज्योतिर्लिंग त्रिकोण आकार का है और इसकी स्थापना के बारे में कहा जाता है कि हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि तपस्या करते थे. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ प्रकट हुए और उन्हे ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वरदान दिया।
6 महीने ही खुलता है मंदिर
केदारनाथ मंदिर 6 महीने ही खुलता है और 6 महीने बंद रहता है. ये मंदिर वैशाखी के बाद खोला जाता है और दीपावली के बाद पड़वा को बंद किया जाता है. जब 6 महीने का समय पूरा होता है तो मंदिर के पुजारी इस मंदिर में एक दीपक जलाते हैं. जो कि अगले 6 महीने तक जलता रहता है 6 महीने बाद जब ये मंदिर खोला जाता है तब ये दीपक जलता हुआ मिलता है।
मान्यता है कि बाबा केदारनाथ जगत कल्याण के लिए 6 महीने समाधि में रहते हैं। मंदिर के कपाट बंद होने के अंतिम दिन चढ़ावे के बाद सवा क्विंटल भभूति चढ़ाई जाती है। कपाट खुलने के साथ ही बाबा केदार समाधि से जागते हैं। इसके बाद भक्तों को दर्शन देते हैं।