पहली बार गर्भ धारण करने वाली महिलाओं के मन में कई सवाल आते है उनमे से ही एक ये भी है की ऑपरेशन या नॉर्मल डिलीवरी क्या ज्यादा सुविधाजनक होती है। कई महिलाएं दर्द से बचने के लिए भी ऑपरेशन का चुनाव करती है तो कभी कभी कई मेडिकल कंडीशंस में ऑपरेशन का ही ऑप्शन होता है। अगर आप भी ऑपरेशन या नॉर्मल डिलीवरी को लेकर कन्फ्यूज्ड है तो यहाँ हम आपको इन दोनों ही प्रक्रिया से जुडी सभी जानकारी दे रहे है।
नार्मल डिलीवरी
बिना किसी सर्जरी के जब बच्चे का जन्म प्राकृतिक तरीके से होता है तो वह नार्मल डिलीवरी होती है। नॉर्मल डिलीवरी जिसमें बिना किसी मेडिकल हस्तक्षेप के प्रसव करवाया जाता है। नार्मल डिलीवरी के बाद महिलाए जल्द ही रिकवर हो जाती है। प्रसव के दौरान शरीर में एंडोर्फिन नामक हार्मोन रिलीज होता है। ये हार्मोन दर्द को दूर करने में मदद करता है जिससे नॉर्मल डिलीवरी के बाद रिकवरी जल्दी हो जाती है।
प्रसव के दौरान बनने वाले हार्मोन स्तनपान में मदद करते हैं। वहीं एनेस्थीसिया और ऑपरेशन से डिलीवरी होने पर महिलाओं में कमजोरी होती है। नॉर्मल डिलीवरी के खतरे और प्रसव के बाद जटिलताएं आने का खतरा भी कम रहता है। पहली डिलीवरी नॉर्मल हो तो दूसरी बार मां बनने पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।
योनि से जन्म के दौरान शिशु की छाती पर दबाव पड़ता है जिससे फेफड़ों से एम्नियोटिक फ्लूइड बाहर निकल जाता है। इससे गर्भ से बाहर आने के बाद शिशु को सांस लेने में मदद मिलती है और जन्म के बाद शुरुआती दिनों में बच्चे में सांस लेने से जुड़ी दिक्कतों का खतरा कम रहता है।
आज कल बढ़ रहा सर्जरी का चलन
ऑपेरशन से बच्चे पैदा होने में कई समस्याए होती है। पर आजकल ज्यादातर महिलाए सर्जरी करना ही पसंद कर रही है। ऑपेरशन जल्दी और बिना दर्द के हो जाता है पर इसके बाद महिलाओं को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।सर्जरी से पैदा हुए बच्चों को साँस लेने में दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है वही इससे पैदा हुए बच्चे शाररिक रूप से कमज़ोर पैदा होते है।
इन स्थतियों में होती सर्जरी
यदि शिशु उल्टी पोजीशन में है
कई बार पेट में बच्चा उल्टा होता है, इसे ब्रीच कंडीशन कहते हैं. इसका अर्थ ये हुआ कि नियम के अनुसार सिर के बजाय बच्चे के पहले पैर बाहर आएंगे। इस स्थति में डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते है।
बच्चे का साइज ज्यादा बड़ा है
डिलिवरी के समय अगर नवजात साइज में नॉर्मल से ज्यादा है, इसमें शोल्डर डिस्टोशिया होने पर बच्चे का सिर वजाइना से बाहर और कंधा अंदर फंस सकता है इसलिए भी सर्जरी करना अनिवार्य होता है।
एचआईवी या कोई संक्रमण
ऐसे संक्रमण जो योनि से जन्म के दौरान बच्चे को हो सकता है. सिजेरियन डिलीवरी शिशु को वायरस के संचरण को रोकने में मदद कर सकती है. ऐसे में डॉक्टर सर्जरी की सलाह देते है।