हिंदू धर्म में सभी तिथियों में पूर्णिमा तिथि को श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और पूजा-पाठ करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है। इस दिन व्रत रखकर स्नान-दान और पूजा पाठ किया जाता है. हर साल वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती या बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है. इस साल वैशाख पूर्णिमा पर 130 साल बाद दुलर्भ संयोग बन रहा है. इस दिन बुद्ध पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है।
कब है वैशाख पूर्णिमा?
पंचांग के अनुसार वैशाख पूर्णिमा की तिथि 4 मई को मध्यरात्रि 11 बजकर 44 मिनट पर ही लग जाएगी और उसका समापन 5 मई को रात में 11 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस प्रकार से उदया तिथि की मान्यता के अनुसार वैशाख पूर्णिमा 5 को मनाई जाएगी। इस दिन बौद्ध धर्म से जुड़े लोग अपने धार्मिक स्थलों पर विशेष आयोजन करते हैं।
लग रहा पहला चंद्र ग्रहण।
बता दें कि वैशाख पूर्णिमा के दिन वर्ष 2023 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, जिस कारण से भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा। पंचांग के अनुसार, उपछाया चंद्रग्रहण का पहला स्पर्श रात्रि 10 बजकर 45 मिनट तक रहेगा और अंतिम स्पर्श रात्रि 1 बजे तक रहेगा यानी चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे 15 मिनट तक रहेगी।
वैशाख पूर्णिमा स्नान-दान
वैशाख पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है, लेकिन इसका सूतक काल मान्य नहीं है. ऐसे में आप वैशाख पूर्णिमा का स्नान-दान सुबह में सूर्योदय के साथ कर सकते हैं. इसके बाद व्रत रखकर शाम में चंद्रमा की पूजा कर सकते हैं. चंद्रमा की पूजा आप ग्रहण से पूर्व कर लें. वैशाख पूर्णिमा को चंद्रोदय शाम 05 बजकर 58 मिनट पर होगा. इस शाम चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं।
वैशाख पूर्णिमा का महत्व
वैशाख पूर्णिमा पर साल का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। हालांकि यह भारत में दिखाई न देने की वजह से इसका सूतक भी यहां पर मान्य नहीं होगा। इस अवसर पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करते हुए उन्हें अर्घ्य देने से आपको बेहतर स्वास्थ्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन घर में सत्यनारायण भगवान की कथा करवाने का भी विशेष महत्व होता है। आपकी धन और संपदा में वृद्धि होती है।