mp के कांग्रेस के रणनीतिकार ।राहुल की यात्रा को किया था सपोर्ट।।

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मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आएंगे, यहां चुनावी कैंपेन की धार पैनी होती दिखेगी। कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के चुनावी रणनीतिकार रहे सुनील कानुगोलू पर अब मध्यप्रदेश में कांग्रेस का बेड़ा पार लगाने की जिम्मेदारी है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए सुनील को अपना रणनीतिकार बनाया है।

सुनील साल 2014 में प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक के साथ जुड़े थे। प्रशांत ने मोदी का साथ छोड़ दिया, तब भी सुनील वहां जमे रहे। साल 2017 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को रिकॉर्ड जीत दिलाकर योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी दिलाने में वे अहम सूत्रधार रहे। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति भी उन्होंने ही तय की थी। वर्तमान में कर्नाटक और तेलंगाना में भी वे कांग्रेस का चुनाव मैनेजमेंट और प्लान का जिम्मा संभाल रहे हैं। कर्नाटक में भाजपा पर हमलावर होते हुए 40% PayCM कैंपेन उन्हीं के दिमाग की उपज है। इसके जरिए एक QR कोड के बीच कर्नाटक के सीएम की फोटो लगाकर उन्हें 40% कमीशन लेने वाला भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताया गया, उनका ये व्यंग्य देशभर में लोकप्रिय रहा।

सबसे पहले जानते हैं कि कौन है सुनील

सुनील के पिता कन्नड़ और मां तेलुगु हैं, लेकिन कानुगोलू ने जिंदगी का लंबा हिस्सा तमिलनाडु में बिताया है। ज्यादातर पढ़ाई चेन्नई में हुई। अंडरग्रेजुएट के तौर पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद सुनील अमेरिका चले गए। यहां फाइनेंस में एमएस और एमबीए की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री ली। साल 2009 में वो अमेरिका से भारत लौट आए। तब से यहीं हैं। उन्हें जानने वाले कहते हैं कि वे बाय चॉइस इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट बने हैं, और जननेता के तौर पर पहचान नहीं बनाना चाहते। न ही खुद की पार्टी खड़ी करना चाहते हैं। 41 साल के सुनील न तो खुद कैमरे पर आते हैं न ही अपने परिवार की जानकारी सार्वजनिक करते हैं।

किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव नहीं

सबसे खास बात है कि सुनील किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव नहीं हैं। उन्हें पब्लिक फिगर होना पंसद नहीं। उनके एक क्लोज एसोसिएट कहते हैं कि सुनील लो प्रोफाइल रहते हैं। ये भी तो एक तरह से उनका हाई प्रोफाइलनेस है। जहां वे काम करते हैं, वहां टारगेट को लेकर फोकस्ड होते हैं। वे सिर्फ पॉलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट ही रहना चाहते हैं। वे कहते हैं कि मेरा चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है।

6 भाषाएं जानते हैं, ताकि नब्ज समझ सकें

माइंडशेयर एनालिटिक्स में सुनील के साथ काम करने वाले सीनियर साथी कहते हैं कि वे 6 भाषाएं जानते हैं। जिस स्टेट में काम करते हैं, वहां की भाषा को जरूर समझते हैं। तमिल, मलयालम, कन्नड़, हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषाओं पर अच्छी पकड़ है। वे जिन राज्यों में काम करते हैं, पहले वहां की भाषा को समझते हैं, ताकि लोगों के साथ और उनके इमोशंस के साथ ज्यादा कनेक्ट कर पाएं।

सीएम बनाने वाले बने MP कांग्रेस के रणनीतिकार

मध्यप्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आएंगे, यहां चुनावी कैंपेन की धार पैनी होती दिखेगी। कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के चुनावी रणनीतिकार रहे सुनील कानुगोलू पर अब मध्यप्रदेश में कांग्रेस का बेड़ा पार लगाने की जिम्मेदारी है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के लिए सुनील को अपना रणनीतिकार बनाया है।

सुनील साल 2014 में प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक के साथ जुड़े थे। प्रशांत ने मोदी का साथ छोड़ दिया, तब भी सुनील वहां जमे रहे। साल 2017 में उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को रिकॉर्ड जीत दिलाकर योगी आदित्यनाथ को सीएम की कुर्सी दिलाने में वे अहम सूत्रधार रहे। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की रणनीति भी उन्होंने ही तय की थी। वर्तमान में कर्नाटक और तेलंगाना में भी वे कांग्रेस का चुनाव मैनेजमेंट और प्लान का जिम्मा संभाल रहे हैं। कर्नाटक में भाजपा पर हमलावर होते हुए 40% PayCM कैंपेन उन्हीं के दिमाग की उपज है। इसके जरिए एक QR कोड के बीच कर्नाटक के सीएम की फोटो लगाकर उन्हें 40% कमीशन लेने वाला भ्रष्ट मुख्यमंत्री बताया गया, उनका ये व्यंग्य देशभर में लोकप्रिय रहा।

सबसे पहले जानते हैं कि कौन है सुनील

सुनील के पिता कन्नड़ और मां तेलुगु हैं, लेकिन कानुगोलू ने जिंदगी का लंबा हिस्सा तमिलनाडु में बिताया है। ज्यादातर पढ़ाई चेन्नई में हुई। अंडरग्रेजुएट के तौर पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद सुनील अमेरिका चले गए। यहां फाइनेंस में एमएस और एमबीए की पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री ली। साल 2009 में वो अमेरिका से भारत लौट आए। तब से यहीं हैं। उन्हें जानने वाले कहते हैं कि वे बाय चॉइस इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट बने हैं, और जननेता के तौर पर पहचान नहीं बनाना चाहते। न ही खुद की पार्टी खड़ी करना चाहते हैं। 41 साल के सुनील न तो खुद कैमरे पर आते हैं न ही अपने परिवार की जानकारी सार्वजनिक करते हैं।

कर्नाटक में सुनील ने PayCM कैंपेन चलाया। इसके QR कोड में कर्नाटक के सीएम का फोटो लगाकर 40% कमीशन का व्यंग्य देशभर में लोकप्रिय हुआ था।

किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव नहीं

सबसे खास बात है कि सुनील किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव नहीं हैं। उन्हें पब्लिक फिगर होना पंसद नहीं। उनके एक क्लोज एसोसिएट कहते हैं कि सुनील लो प्रोफाइल रहते हैं। ये भी तो एक तरह से उनका हाई प्रोफाइलनेस है। जहां वे काम करते हैं, वहां टारगेट को लेकर फोकस्ड होते हैं। वे सिर्फ पॉलिटिकल स्ट्रैटेजिस्ट ही रहना चाहते हैं। वे कहते हैं कि मेरा चुनाव लड़ने का कोई इरादा नहीं है।

6 भाषाएं जानते हैं, ताकि नब्ज समझ सकें

माइंडशेयर एनालिटिक्स में सुनील के साथ काम करने वाले सीनियर साथी कहते हैं कि वे 6 भाषाएं जानते हैं। जिस स्टेट में काम करते हैं, वहां की भाषा को जरूर समझते हैं। तमिल, मलयालम, कन्नड़, हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती भाषाओं पर अच्छी पकड़ है। वे जिन राज्यों में काम करते हैं, पहले वहां की भाषा को समझते हैं, ताकि लोगों के साथ और उनके इमोशंस के साथ ज्यादा कनेक्ट कर पाएं।

भारत जोड़ो यात्रा का प्लान बनाया, तिरंगा फहराने पर अड़ गए थे

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का पूरा प्लान सुनील ने ही बनाया था। साथ ही, यात्रा के समापन पर कश्मीर में तिरंगा झंडा फहराने का आइडिया भी उन्हीं का था।

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के रणनीतिकार सुनील ही रहे हैं। तेलंगाना से लेकर कश्मीर पहुंचने तक राहुल किन रास्तों से होकर गुजरेंगे, क्या नरेटिव बिल्ट करेंगे, ये सब सुनील ने ही प्लान किया था। हर राज्य में वहां के लोकल फूड खाएंगे, वहां लोगों से कैसे संवाद करेंगे, ये सब भी प्लान का ही हिस्सा था। हर राज्य के लिए वहां की स्थानीय भाषा में यात्रा का थीम सॉन्ग बनाने का प्लान भी उन्हीं का था।

यात्रा समाप्ति पर राहुल गांधी कश्मीर पहुंचकर लाल चौक पर तिरंगा फहराएंगे, ये प्लान भी सुनील का था। हालांकि इस प्लान पर पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आपत्ति भी ली थी, लेकिन सुनील ने कहा था कि इस मूवमेंट का समापन तिरंगा फहराने के साथ ही होना चाहिए। मकसद था कि कांग्रेस की अप्रोच देशभर में समझ में आए। बाद में राहुल गांधी ने इस पर हामी भरी और वे कश्मीर के श्रीनगर में यात्रा के आखिरी दिन तिरंगा फहराने पर सहमत हुए। कहा जाता है कि सुनील कांग्रेस हाईकमान राहुल गांधी के बेहद करीब हैं। वे सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करते हैं।

एमपी कांग्रेस में हो चुके हैं फर्स्ट राउंड के सर्वे

बताया गया है कि सुनील ने यहां आकर वॉर रूम संभालने से पहले एमपी में कांग्रेस ने अलग-अलग सर्वे पूरे कर लिए हैं। इनकी रिपोर्ट भी दिल्ली पहुंच गई है। खुद सुनील इन रिपोर्ट को पढ़ चुके हैं। सुनील इन्हीं रिपोर्ट के साथ हाईकमान को प्रेजेंटेशन दे चुके हैं। सोमवार को उनकी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और गांधी परिवार से बातचीत तय है। संभवत: इसके बाद वे भोपाल विजिट करेंगे।

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