अलका लांबा (Alka Lamba) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं. अखिल भारतीय कांग्रेस (Congress) कमेटी की प्रवक्ता हैं।जो अपनी बात बहुत ही बेबाकी से रखती हैं।अब एक ट्वीट मैं फसती नजर आ रही हैं।
शरद पवार पर जुबानी हमला करने के बाद अब अलका लांबा बैकफुट पर आती नजर आ रही हैं. बीजेपी के सवाल पर उन्होंने कहा है कि वह उनका निजी बयान है, कांग्रेेस का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं है. कांग्रेस का बयान पार्टी के सोशल मीडिया अकाउंट से जारी किया जाता है.
एनसीपी प्रमुख शरद पवार के खिलाफ सियासी हमला करने पर कांग्रेस नेता अलका लांबा पर बीजेपी ने सवाल उठाए थे. भाजपा ने उनसे पूछा था कि क्या यह कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक बयान है. इस पर अब अलका लांबा की सफाई आई है. अलका लांबा ने कहा है कि यह उनका निजी विचार है.
अलका ने बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावला के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने शरद पवार को लेकर जो भी टिप्पणी की, वह उनकी पार्टी का आधिकारिक बयान नहीं है. आधिकारिक बयान उनकी पार्टी के सोशल मीडिया अकाउंट से जारी किया जाता है. अलका ने लिखा,’ मैं एक कांग्रेस कार्यकर्ता हूं, मेरे ट्वीट मेरे निजी हैंडल पर स्वतंत्र विचार हैं, उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही मेरी है. पार्टी में लोकतंत्र है. हर किसी को अपने विचार रखने का अधिकार है.’
दरअसल, एक इंटरव्यू के दौरान जब शरद पवार से अडानी विवाद में जेपीसी जांच को लेकर सवाल किया गया था, तो अडानी ने जवाब में बताया था कि आखिर वह जेपीसी क्यों नहीं चाहते हैं? एनसीपी चीफ ने कहा था कि जेपीसी में सत्ताधारी दल का वर्चस्व होगा और इसलिए सच्चाई सामने नहीं आएगी. इसलिए वह जेपीसी नहीं चाहते हैं.
5-6 लोग ही विपक्ष के होंगे
शरद पवार ने कहा था कि जेपीसी की बात सभी विपक्ष ने कही है यह सच और हमारी पार्टी भी इसमें शामिल है, यह भी सच है. लेकिन जेपीसी के गठन में 21 लोग होंगे और उनमें से 15 लोग रूलिंग पार्टी के होंगे. विपक्ष के सिर्फ 5-6 लोग ही होंगे तो वह क्या सच्चाई सामने लाएंगे. इसीलिए मेरा कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी फॉर्म करने का जो दूसरा विकल्प दिया है, वह ज्यादा ठीक है.
अलोचना करने से मना नहीं किया
उन्होंने कहा था ‘मैंने ऐसा नहीं कहा कि अडानी की आलोचना मत करो, लेकिन बेरोजगारी, कृषि संबंधी मुद्दे और मूल्य वृद्धि, ये 3 प्रमुख मुद्दे हैं देश के सामने. इस बारे में मुख्य विपक्ष को ज्यादा सोचना चाहिए. मेरी पार्टी ने जेपीसी का समर्थन किया है, लेकिन मुझे लगता है कि जेपीसी में सत्ताधारी दल का वर्चस्व होगा और इसलिए सच्चाई सामने नहीं आएगी. इसलिए मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाला पैनल सच्चाई सामने लाने का एक बेहतर तरीका है.’