विकट संकष्टी चतुर्थी कल, ऐसे करे पूजा।

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वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा. इस दिन पूरे विधि विधान से गणपति की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के उपाय किए जाते हैं। इस माह की संकष्टी चतुर्थी 9 अप्रैल को है।

ये चढ़ाए भगवान गणेश को।

संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश को गेंदे का फूल, मोदक और गुड़ का नैवेद्य अर्पित करना चाहिए। इस उपाय को करने से आपको हर कार्य में सिद्धि प्राप्त होगी। माना जाता है कि श्री गणेश जी को सिंदूर अत्यंत प्रिय है. संकष्टी चतुर्थी के दिन श्री गणेश का सिंदूर से तिलक करने के उनका पूजन करें। सिंदूर को सुख-सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इस दिन गणपति को सिंदूर अर्पित करने से जीवन में सौभाग्य बना रहता है।

विकट संकष्टी चतुर्थी तिथि

चतुर्थी तिथि की शुरुआत: 09 अप्रैल, सुबह 09:35 मिनट से 10 अप्रैल, सुबह 08:37 मिनट पर चंद्रोदय के समयानुसार 9 अप्रैल को ही इसका व्रत रखा जाएगा. इस दिन चंद्रमा 10: 02 मिनट पर निकलेगा।

कथा।

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सभी देवी-देवताओं के ऊपर भारी संकट आ गया. जब वह खुद से उस संकट का समाधान नहीं निकाल पाए तो भगवान शिव के पास मदद मांगने के लिए गए. भगवान शिव ने गणेश जी और कार्तिकेय से संकट का समाधान करने के लिए कहा तो दोनों भाइयों ने कहा कि वे आसानी से इसका समाधान कर लेंगे. इस प्रकार शिवजी दुविधा में आ गए. उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी का चक्कर लगाकर जो सबसे पहले मेरे पास आएगा वही समाधान करने जाएगा।

भगवान कार्तिकेय बिना किसी देर किए अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए निकल गए. वहीं गणेश जी के पास मूषक की सवारी थी. ऐसे में मोर की तुलना में मूषक का जल्दी परिक्रमा करना संभव नहीं था. तब उन्होंने बड़ी चतुराई से पृथ्वी का चक्कर ना लगाकर अपने स्थान पर खड़े होकर माता पार्वती और भगवान शिव की 7 परिक्रमा की. जब महादेव ने गणेश जी से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो इस पर गणेश जी बोले माता पिता के चरणों में ही पूरा संसार होता है.

इस वजह से मैंने आप की परिक्रमा की. यह उत्तर सुनकर भगवान शिव और माता पार्वती बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने देवताओं का संकट दूर करने के लिए गणेश जी को चुना. इसी के साथ भगवान शिव ने गणेश जी को यह आशीर्वाद भी दिया कि जो भी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन कर चंद्रमा को जल अर्पित करेगा उसके सभी दुख दूर हो जाएंगे. साथ ही पाप का नाश और सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी।

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