कैसे होगा बिना मां के गर्भाशय में बच्चों का निर्माण
टेक्नोलॉजी की दुनिया ने हमें कहां से कहां पहुंचा दिया हम कभी इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते थे की बच्चा मां के गर्भ से नहीं मशीन से भी पैदा हो सकता है। हुबहू वैसा ही दिखने वाला बच्चा अब मशीनों से पैदा किया जाएगा।
अब दुनिया की पहली कृत्रिम गर्भ सुविधा देने वाली फैक्ट्री बनेगी. यह उन मां बाप के लिए वरदान है जिनके बच्चे नहीं हो रहे हैं।।.
मिक्चर-बिस्किट की तरह फैक्ट्री में बनेगा बच्चा, पिज्जा जैसी होगी होम डिलीवरी आ गई नई मशीन
छोरा चाहिए गोरा तो दबाइए बटन, लूल्हा-लंगड़ अंधा – बहरा बच्चा 2050 के बाद पैदा ही नहीं होगा
लैब में बना बच्चा न मां का दूध पीएगा, न पिता का दुलार देखेगा, बस अब के बच्चों से होगा थोड़ा अलग
क्या आपने कभी किसी फैक्ट्री में बच्चे के ‘उत्पादन’ की कल्पना भी की है? मतलब किसी फैक्ट्री में बच्चे पैदा किया जाए..नहीं तो अब ऐसा संभव है. जी हां.. असलियत में अब ये संभव है. दुनिया में पहली बार बच्चा बनाने वाली फैक्ट्री को लेकर एक रिपोर्ट जारी की गई है. आइए जानते हैं विस्तार से क्या है पूरा माजरा…
एक्टोलाइफ 75 लैब बनाएगा
एक्टोलाइफ 75 लैब बनाएगा और हर लैब में 400 बेबी पॉड होंगे. जो पूरी तरह से यूट्रेस की तरह डिजाइन होंगे. यह बच्चे को वही अहसास कराएंगे जो बच्चे को मां के गर्भ में होता है.
इन पॉड्स को मां के गर्भ में मौजूद वातावरण के समान वातावरण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है. एक स्क्रिन के जरिए पोड में बच्चे की ग्रोथ पर नजर रखी जाएगी
EctoLife वेबसाइट के मुताबिक, यह अवधारणा बर्लिन स्थित हाशम अल-घाइली के दिमाग की उपज है. हाशम अल-घाइली पेशे से एक निर्माता, फिल्म निर्माता और विज्ञान के जानकार हैं
आइए अब जानते हैं कि आखिर ‘कृत्रिम गर्भ सुविधा’ क्या है?
कृत्रिम गर्भ को लेकर मिरर डॉट यूके की रिपोर्ट में काफी कुछ जानकारी मिलती है. अल-घाइली ने कृत्रिम गर्भ को लेकर कहा है कि यह अगले 10 साल में हकीकत बन जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसा तभी संभव है जब सभी तरह की नैतिक प्रतिबंध को हटा दिया जाए. उन्होंने आगे कहा कि ये कंसेप्ट 100 प्रतिशत विज्ञान पर आधारित है. सभी सुविधाओं को एक डिवाइस में मिलाकर एक प्रोटोटाइप बनाना बाकी है. उन्होंने कहा कि अगर नैतिक प्रतिबंधों में ढील दी जाती है, तो मैं इसे 10 से 15 साल पहले एक्टोलाइफ को हर जगह व्यापक रूप से इस्तेमाल करने की भविष्यवाणी करता हूं.”
कैसे होगा बच्चों का निर्माण
एक पारदर्शी “ग्रोथ पॉड्स” में एक साल में करीब 30,000 बच्चों को विकसित किया जाएगा. एक्टोलाइफ सुविधा, नवीकरणनीय ऊर्जा पर काम करेगी और ऐसे 75 प्रयोगशालाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है. एक प्रयोगशाला में 400 ग्रोछ पॉड यानि कृत्रिम गर्भाशय रखे जाएंगे, जिनसे बच्चों का उत्पादन किया जाएगा. इन पॉड्स को मां के गर्भ में मौजूद वातावरण के समान वातावरण प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है.
बच्चे के निर्माण के लिए आदमी स्पर्म औरत के अंडे को मशीन में रखा जाएगा और उस पर कुछ दिन पूरा ध्यान रखा जाएगा।जब बच्चा बनने की प्रोसेस में आ जाएगा तब
उसका ख्याल बिल्कुल वैसे ही रखा जाएगा जेसे मां के पेट
में रखा जाता हैं।
हाशम अल-घाइली ने इस बारे में कहा कि, प्रसव के समय, बच्चे को “एक बटन के जरिए हल्का धक्का देकर” उस फली से निकाला जा सकता है. उन्होंने कहा कि, “एक्टोलाइफ आपको एक सुरक्षित, दर्द-मुक्त बच्चा पैदा करने का विकल्प प्रदान करता है, जो आपको बिना तनाव के अपने बच्चे को जन्म देने में मदद करता है.
हाशम अल-घाइलीआगे कहते हैं कि कृत्रिम गर्भ से एमनियोटिक लिक्विड के बहने के बाद आप अपने बच्चे को ग्रोथ पॉड से आसानी से निकाल पाएंगे.” इतना ही नहीं इस प्रक्रिया में माता-पिता अपने बच्चे की बुद्धि, लंबाई, उसके बाल, आंखों का रंग त्वचा की टोन का भी चयन कर सकते हैं.
घर ला सकेंगे ‘मनमाफिक’ बच्चे
एक्टोलाइफ कंपनी की ओर से शुरू की जाने वाली कृत्रिम गर्भ सुविधा में अभिभावकों के लिए अलग-अलग पैकेज होंगे, मेट्रो की एक रिपोर्ट के हिसाब से इसका एक एलाइट पैकेज भी होगा जिससे अभिभावक यह तय करेंगे कि उन्हें बच्चे का चेहरा, रंग, लंबाई कैसी चाहिए. इस पैकेज के तहत उन्हें 300 से ज्यादा जीन में से कोई एक चुनने की सुविधा मिलेगी. इनमें से नौ जीन को वह एडिट भी करके मनमाफिक बच्चा पा सकेंगे.
तकनीक से होगा ये लाभ
हाशम अल-घाइली के मुताबिक एक्टोलाइफ बिना कंसेप्शन के लोगों को अभिभावक बनने की सुविधा देगा. यह सुविधा उन देशों के भी बहुत काम आएगी जो जनसंख्या वृद्धि दर में आ रही कमी से जूझ रहे हैं, जैसे जापान बुल्गारिया और साउथ कोरिया. घाइली का दावा है कि ये तकनीक उन महिलाओं के लिए भी सहायक सिद्ध होने वाली है जो किसी बीमारी की वजह से अपने यूट्रेस को निकलवा चुकी हैं.
क्या सफल होगा प्रयास
घाइली और एक्टोलाइफ की कोशिशें सफलता का नया इतिहास लिख सकती हैं, खुद एक्सपर्ट ऐसा मानते हैं. लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर एंड्रयू शेनन ने हफ पोस्ट से बातचीत में बताया कि बेबी पॉड बिना कोख के बच्चे पैदा करने में सफल हो सकते हैं, बशर्ते उन्हें करेक्ट इनवायरमेंट, फ्यूज और ऑक्सीजन दिया जाए. उन्होंने बताया कि पहले भी ऐसा हो चुका है कि मां के गर्भ से प्रीमैच्योर बेबी को निकालकर इंक्यूबेटर्स में रखा गया और उन्हें टूयब की मदद से दूध पहुंचाकर बचाने में सफलता पाई गई.
लेकिन कुछ लोगों के दिमाग में यह बात भी आ रही होगी कि क्या मां के पेट से निकले हुए बच्चे में जो ममता होती है जो मां दर्द सहती है जो मां उसे दुलार करती है जो मां के स्नेह से वह बच्चा बनता है तो क्या उस तरीके का प्यार उस मशीनरी बच्चे से किया जाएगा।।तो हा बच्चा बिल्कुल उसी तरह से पाला जाएगा उसका ध्यान रखा जाएगा। बस अंतर इतना होगा कि वह मां के गर्भाशय से नहीं मशीन से निकाला जाएगा।