सोशल मीडिया पर ट्रोल और विपक्ष के हंगामे के बाद अब एनिमल वेलफ़ेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया ने 14 फ़रवरी को ‘काउ हग डे’ मनाने की अपनी अपील को वापस ले लिया है। पर दुनियाभर में गाय को हुग करने के कई सकारात्मक प्रभाव है और इस बारे में कई रिसर्च भी की गई है।
विपक्ष ने किया अपील का विरोध
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया था कि ‘अब सरकार ने हमारे वेलेंटाइन डे का भी प्लान बना लिया है.’ वही केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरषोत्तम रुपाला ने कहा था कि अच्छा होता कि अगर लोग बोर्ड की ओर से 14 फरवरी को ‘काउ हग डे’ के रूप में मनाने की अपील पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते। 14 फरवरी को दुनिया भर में वैलेंटाइन डे के रूप में मनाया जाता है। यह पहली बार था जब एडब्ल्यूबीआई ने देश में गाय प्रेमियों से ‘काउ हग डे’ मनाने की अपील की थी।
गाय को हग करने से क्या होता है ?
गाय की पीठ थपथपना और उसके साथ सटकर बैठना या उसे गले लगा लेना, ये सब थेरेपी का हिस्सा हैं। नीदरलैंड्स में गायों के एक फार्म की मालिक कहती हैं, “गायें आमतौर पर बेहद शांतिपूर्ण होती हैं, वो बेवजह लड़ती नहीं हैं और किसी को परेशान नहीं करती हैं.”
वो कहती हैं, “गले लगाने के लिए तैयार की गईं विशेष गायें तो और भी शांत होती हैं. जब एक गाय बोर हो जाती है तो वो उठकर चल देती है.”माना जाता है कि गायों को गले लगाने से मनुष्यों के शरीर में ऑक्सिटोसिन निकलता है और इससे उन्हें अच्छा अहसास होता है.
वही डच भाषा में गाय को गले लगाने को ‘कोए नफेलेन’ कहा जाता है। इसे एक सदियों पुरानी प्रथा के तौर पर जाना जाता है, जो एक उपचार के तौर पर देखी जाती है।