17 साल पुराने उमेश पाल अपहरण केस में प्रयागराज की MP-MLA कोर्ट थोड़ी देर में फैसला सुना सकती है।
1300 KM का सफर 23 घंटे 45 मिनट में पूरा किया, 8 बार रुका काफिला
नैनी सेंट्रल जेल से अतीक को बंद वैन में कोर्ट लाया गया। कोर्ट तक 10 किमी की दूरी 23 मिनट में तय हुई। वैन में CCTV कैमरे लगाए गए हैं। ACP करछना अजीत सिंह चौहान ने बताया कि कोर्ट 12:30 बजे सुनवाई करेगा।
उमेश पाल अपहरण केस में बाहुबली अतीक अहमद, उसका भाई अशरफ समेत 11 लोग आरोपी थे, इसमें एक की मौत हो चुकी है। अतीक को सोमवार शाम को अहमदाबाद की साबरमती जेल से और उसके भाई अशरफ को बरेली जेल से प्रयागराज लाया गया था। दोनों को नैनी सेंट्रल जेल में हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया।
फैसले से पहले अतीक को सुप्रीम कोर्ट से झटका, सुरक्षा की मांग की थी
इस बीच, उमेश पाल मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने अतीक अहमद की सुरक्षा देने की अपील खारिज कर दी है। अतीक ने याचिका में कहा था कि जब तक वो उत्तर प्रदेश पुलिस की कस्टडी में है, उसे सुरक्षा दी जाए। अतीक ने कहा था कि वह यूपी की जेल में शिफ्ट नहीं होना चाहता। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अतीक के वकील से कहा कि अपनी शिकायत लेकर हाईकोर्ट जाइए।
अतीक गैंग पर 100 से ज्यादा केस, आज पहले केस में सजा मिल सकती है
अतीक अहमद का 20 साल से ज्यादा वक्त तक प्रयागराज समेत आसपास के 8 जिलों में वर्चस्व रहा है। यूपी पुलिस के डोजियर के अनुसार, अतीक के गैंग IS- 227 के खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज हैं। अभी कोर्ट में 50 मामले चल रहे हैं। इनमें NSA, गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के मुकदमे भी हैं। अतीक पर पहला मुकदमा 1979 में दर्ज हुआ था।
अपहरण के केस में धारा 364A, इसमें फांसी की सजा तक का प्रावधान
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एडवोकेट शाश्वत आनंद ने बताया कि अपहरण करने वालों पर ही हत्या का भी आरोप लग गया है। ऐसे में धारा 364A में फांसी की सजा का प्रावधान भी है। चूंकि वादी उमेश पाल की हत्या भी हो चुकी है और हत्या का आरोप भी अपहरण कराने वालों पर ही है। ऐसे में अपराध और गंभीर हो जाता है। उन्होंने बताया, अगर अतीक अहमद उसके भाई अशरफ पर दोष सिद्ध होता है, तो 10 साल की कैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है। इस केस में जीवित रहते उमेश पाल ने अपनी गवाही पूरी कर ली थी।
पहली बार होगी सजा
माफिया अतीक अहमद को पहली बार अदालत सजा सुनाएगी. इससे पहले अतीक पर दर्जनों मुकदमे दर्ज हुए, लेकिन हर बार वह कानूनी दांव-पेच लगाकर बचता रहा. 24 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक अहमद के साथ पूरा कुनबा कानूनी शिकंजे में फंस गया है.
माफिया के चेहरे पर दिखा मौत का डर
गुजरात जेल में बंद अतीक अहमद प्रयागराज आना नहीं चाहता था. वह साबरमती जेल में ही रहना चाहता था. लेकिन जब पुलिस अतीक अहमद को जेल के बाहर ला रही थी, तब उसने आशंका जताई और मीडिया से कहा कि पुलिस कोर्ट के कंधे पर बंदूक रखकर मेरी हत्या कराना चाहते हैं. जिस माफिया से लोग खौफ खाते थे, आज वह माफिया खुद डरा हुआ दिखाई दे रहा है.





