डिजिटल ट्रांजैक्शन का दौर
पिछले कुछ वर्षों में पैसों के लेन-देन के तरीकों में बड़ा बदलाव आया है. पहले जहां कैश ट्रांजैक्शन का बोलबाला था, वहीं अब डिजिटल लेन-देन ने उसकी जगह ले ली है. अब लोग बैंक जाने की बजाय ऑनलाइन मोड जैसे UPI, IMPS, NEFT और RTGS के जरिए आसानी से फंड ट्रांसफर कर सकते हैं. इनमें से UPI सबसे पॉपुलर हो गया है, लेकिन बाकी मोड्स की भी अपनी खासियतें हैं. आइए जानते हैं इन सभी ट्रांजैक्शन मोड्स की खास बातें.

UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस)
UPI की शुरुआत 2016 में हुई थी और तब से यह फंड ट्रांसफर के लिए सबसे पसंदीदा और तेज़ तरीका बन गया है. UPI के जरिए आप अपने बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में तुरंत पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं. इसके लिए केवल मोबाइल नंबर या UPI आईडी की जरूरत होती है. UPI की खासियत यह है कि इसमें न तो किसी अकाउंट नंबर की जरूरत होती है और न ही IFSC कोड की. इसकी मदद से आप बिना बैंक की डिटेल्स जाने भी पैसे भेज सकते हैं। आज UPI की मदद से लाखों लोग बिना कैश के ट्रांजैक्शन कर रहे हैं.
NEFT (नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर)
NEFT की शुरुआत भारतीय रिजर्व बैंक ने 2005 में की थी. यह एक सुरक्षित और पारंपरिक फंड ट्रांसफर का तरीका है, जिसमें एक बैंक अकाउंट से दूसरे बैंक अकाउंट में फंड ट्रांसफर किया जा सकता है. NEFT के जरिए ट्रांजैक्शन करने के लिए बैंक अकाउंट नंबर और IFSC कोड की जरूरत होती है. इसके जरिए फंड ट्रांसफर थोड़े समय में हो जाता है और यह बैंक के कार्य समय के दौरान ही काम करता है. इसमें छोटे ट्रांजैक्शन के लिए मामूली शुल्क लिया जाता है, और यह काफी सुरक्षित माना जाता है.
IMPS (इमीडिएट पेमेंट सर्विस)
IMPS 24/7 फंड ट्रांसफर की सुविधा देता है और इसका इस्तेमाल आप किसी भी वक्त कर सकते हैं. यह सर्विस 2010 में शुरू हुई थी और यह UPI से पहले का फास्ट ट्रांसफर सिस्टम था. IMPS के जरिए आप आधार नंबर या मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करके भी पैसे भेज सकते हैं. IMPS की खासियत यह है कि इसमें ट्रांजैक्शन तुरंत हो जाता है और बैंक हॉलिडे या नॉन-बैंकिंग आवर्स में भी इसका उपयोग किया जा सकता है. IMPS ट्रांसफर रियल टाइम में होता है, जिससे पैसे भेजने में बिल्कुल भी देरी नहीं होती.
RTGS (रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट)
RTGS को सबसे पुराना डिजिटल फंड ट्रांसफर मोड माना जाता है. इसकी शुरुआत 1985 में हुई थी, जबकि भारत में यह 2004 में लॉन्च किया गया. यह बड़े पैमाने पर ट्रांसफर करने के लिए उपयोग होता है, क्योंकि इसमें न्यूनतम ट्रांजैक्शन राशि तय होती है. RTGS के जरिए आप बड़ी रकम आसानी से ट्रांसफर कर सकते हैं, और यह रियल टाइम में ही सेटलमेंट करता है. RTGS भी बैंक के कार्य समय के दौरान ही काम करता है.

UPI क्यों है सबसे बेहतर?
UPI की सरलता, तेज़ी और बिना अतिरिक्त चार्ज के इसे बाकी मोड्स से बेहतर बनाती है. जहां RTGS और NEFT में बैंकिंग डिटेल्स की जरूरत होती है, वहीं UPI के जरिए बिना किसी डिटेल्स के भी फंड ट्रांसफर किया जा सकता है. IMPS की तरह यह भी रियल टाइम ट्रांजैक्शन करता है, लेकिन UPI के जरिए छोटे और बड़े दोनों ट्रांजैक्शन मुफ्त में किए जा सकते हैं, जिससे यह आम लोगों में ज्यादा लोकप्रिय हो गया है.