चावल कंपनियों के शेयरों में उछाल
चावल से जुड़े कारोबार में निवेश करने वाली कंपनियों के शेयरों में सोमवार को बड़ी तेजी देखने को मिली. खासतौर पर कोहिनूर फूड्स (Kohinoor Foods) में 20 प्रतिशत का अपर सर्किट लगा, जबकि अन्य चावल कंपनियों के शेयर भी तेजी से ऊपर चढ़े. इसका मुख्य कारण केंद्र सरकार द्वारा बासमती चावल के निर्यात से संबंधित मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) को हटाया जाना है. यह फैसला चावल उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत के रूप में देखा जा रहा है.

MEP हटने से निर्यात को मिला बढ़ावा
सरकार ने पहले बासमती चावल के निर्यात के लिए 950 डॉलर प्रति टन की मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) तय कर रखी थी, जिसका मतलब यह था कि चावल कंपनियां इससे कम कीमत पर बासमती चावल का निर्यात नहीं कर सकती थीं. हाल ही में, सरकार ने MEP को पूरी तरह से समाप्त कर दिया है, जिससे चावल कंपनियों को बड़ी राहत मिली है. इस फैसले से कंपनियों को अधिक लचीलेपन के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा करने और निर्यात बढ़ाने का अवसर मिलेगा.
किसानों और निर्यातकों को मिलेगा फायदा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि इस फैसले से न केवल चावल का निर्यात बढ़ेगा, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी. 2022-23 में भारत का बासमती चावल का कुल निर्यात मूल्य 4.8 अरब डॉलर रहा था, जो मात्रा के हिसाब से 45.6 लाख टन था. MEP हटने के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि चावल कंपनियों का निर्यात बढ़ेगा, जिससे चावल उद्योग में और भी तेजी आएगी.
किन चावल कंपनियों में दिखी सबसे अधिक तेजी?
सोमवार को चावल कंपनियों के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. कोहिनूर फूड्स के शेयर 20 प्रतिशत बढ़कर 46.83 रुपये पर बंद हुए. इसके अलावा, एलटी फूड्स में 9.72 फीसदी, केआरबीएल में 7.67 फीसदी और चमन लाल सेतिया एक्सपोर्ट्स के शेयरों में 5.92 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया. यह तेजी सरकार के MEP हटाने के फैसले के बाद आई है, जिससे चावल कंपनियों के निर्यात कारोबार में नई ऊर्जा आई है.
चावल कंपनियों के शेयरों में तेजी का कारण
बासमती चावल के निर्यात की बढ़ती मांग और MEP हटाने से चावल कंपनियों के शेयरों में सकारात्मक भावनाएं देखने को मिलीं. इसके अलावा, कंपनियों ने अपनी पिछली अर्निंग कॉल में ही यह स्पष्ट किया था कि उनके निर्यात से होने वाली औसत प्राप्तियां पहले से ही सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम निर्यात मूल्य से अधिक हैं. इस वजह से भी निवेशकों में सकारात्मक उत्साह देखने को मिला.

आने वाले समय में चावल उद्योग का भविष्य
सरकार द्वारा MEP को हटाने से बासमती चावल की कीमतों में स्थिरता आएगी और निर्यातकों को नई संभावनाएं मिलेंगी. चावल की बढ़ती मांग को देखते हुए, चावल कंपनियों के शेयरों में और भी उछाल की उम्मीद की जा रही है, जिससे न केवल कंपनियां बल्कि किसान भी लाभान्वित होंगे.