भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में Switzerland की यात्रा की, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की. इस यात्रा के दौरान, उन्होंने बहुपरकारीवाद (Multilateralism) के प्रति भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया और पारंपरिक चिकित्सा के प्रचार और विकास के लिए उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला.
बहुपरकारीवाद (Multilateralism) पर भारत का दृष्टिकोण
- मल्टीलेटरलिस्टिक अप्रोच:
जयशंकर ने बहुपरकारीवाद के महत्व पर जोर दिया, जो वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए कई देशों की संयुक्त सहभागिता की अवधारणा है. उन्होंने बताया कि भारत का मानना है कि वैश्विक मुद्दों को हल करने के लिए एकसाथ काम करना आवश्यक है, और इसे विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लागू किया जाना चाहिए. भारत ने इस दृष्टिकोण को विभिन्न वैश्विक मंचों जैसे कि संयुक्त राष्ट्र, जी20, और अन्य बहुपरकारी संस्थानों में समर्थन दिया है. - वास्तविक और समावेशी सहयोग:
उन्होंने यह भी बताया कि बहुपरकारीवाद का लक्ष्य वैश्विक स्तर पर न्याय और समानता सुनिश्चित करना है. इसके तहत सभी देशों की आवाज़ सुनी जानी चाहिए और उनकी चिंताओं को संबोधित किया जाना चाहिए. जयशंकर ने इसे एक वास्तविक और समावेशी सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया जो विश्व के सभी देशों के लाभकारी हो सकता है. - आंतर्राष्ट्रीय संस्थानों की भूमिका
भारत ने यह भी सुझाव दिया कि अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को और अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने की आवश्यकता है. उन्होंने माना कि वर्तमान में कई वैश्विक मुद्दे प्रभावी तरीके से संबोधित नहीं किए जा रहे हैं और इसके लिए संस्थानों को सुधारने की आवश्यकता है.
पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के उपाय
- भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ
जयशंकर ने भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, योग, और होम्योपैथी की विशेषताओं और लाभों पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि इन चिकित्सा पद्धतियों में समग्र स्वास्थ्य और उपचार की दृष्टि से अद्वितीय दृष्टिकोण है जो विश्व स्वास्थ्य परिदृश्य में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है. - वैश्विक प्रचार और साझेदारी
पारंपरिक चिकित्सा के प्रचार के लिए, भारत ने वैश्विक साझेदारी और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया. जयशंकर ने Switzerland के साथ मिलकर पारंपरिक चिकित्सा की वैश्विक पहुंच बढ़ाने और इसे अन्य देशों में लोकप्रिय बनाने के लिए कई पहल की सिफारिश की. इसमें इंटरनेशनल कन्फरेंसेज़, शोध कार्यक्रम, और पारंपरिक चिकित्सा के लाभों पर जागरूकता अभियान शामिल हैं. - स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग:
भारत और Switzerland के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की गई. पारंपरिक चिकित्सा के अनुसंधान और विकास के लिए संयुक्त प्रयासों पर जोर दिया गया. इसके तहत नई चिकित्सा विधियों पर शोध, क्लीनिकल ट्रायल्स, और पारंपरिक चिकित्सा के मानकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
स्विट्ज़रलैंड यात्रा के अन्य प्रमुख बिंदु
- द्विपक्षीय संबंध:
यात्रा के दौरान, जयशंकर ने Switzerland के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर भी जोर दिया. दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों और पहल की योजना बनाई गई. - अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन:
जयशंकर ने अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत की. उन्होंने वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और Switzerland के साथ इन मुद्दों पर संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया.