भारत सरकार की उत्पादन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना ने एयर कंडीशनिंग (AC ) उद्योग में उल्लेखनीय उन्नति की है. इस योजना के तहत स्थानीयकरण दोगुना हो गया है, जिससे उद्योग में आत्मनिर्भरता और विकास के नए अवसर उत्पन्न हुए हैं.
PLI योजना का उद्देश्य
PLI योजना का मुख्य उद्देश्य भारत में विनिर्माण को प्रोत्साहित करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है. इसके तहत, विभिन्न उद्योगों को अतिरिक्त वित्तीय प्रोत्साहन और सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे वे अपने उत्पादन को बढ़ा सकें और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी हो सकें. एसी उद्योग इस योजना का एक प्रमुख लाभार्थी रहा है.
स्थानीयकरण में वृद्धि
PLI योजना के लागू होने के बाद, एसी उद्योग में स्थानीयकरण की दर दोगुनी हो गई है। इसका मतलब है कि एसी के घटकों और पैनलों का एक बड़ा हिस्सा अब देश में ही निर्मित किया जा रहा है, जिसके चलते आयात पर निर्भरता कम हुई है। स्थानीयकरण की इस वृद्धि से उद्योग को कई लाभ मिले हैं
- स्वदेशी उत्पादन में वृद्धि: स्थानीयकरण के कारण भारत में ही एसी के कई महत्वपूर्ण घटकों का उत्पादन होने लगा है, जिससे लागत में कमी आई है और आयात की निर्भरता घट गई है.
- रोजगार के अवसर: स्थानीयकरण ने नए विनिर्माण संयंत्रों और आपूर्तिकर्ताओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं. इससे न केवल श्रम बाजार में वृद्धि हुई है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिला है.
- टेक्नोलॉजी का विकास: स्वदेशी उत्पादन के बढ़ने से नई टेक्नोलॉजी और नवाचार को बढ़ावा मिला है। इससे भारतीय कंपनियां विश्वस्तरीय उत्पादों का निर्माण करने में सक्षम हो रही हैं.
PLI योजना का प्रभाव
PLI योजना के तहत मिली सब्सिडी और प्रोत्साहनों ने एसी उद्योग को कई क्षेत्रों में लाभ पहुंचाया है
- उत्पादन लागत में कमी: सब्सिडी के चलते विनिर्माण लागत में कमी आई है, जिससे एसी की कीमतें प्रतिस्पर्धी हुई हैं और उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है.
- निवेश में वृद्धि: उद्योग में निवेशकों की रुचि बढ़ी है, जिससे नए उत्पादन संयंत्रों और अनुसंधान एवं विकास (R&D) पर निवेश हुआ है.
- विकास की गति: PLI योजना ने एसी उद्योग की विकास की गति को तेज किया है, जिससे उद्योग ने नई ऊँचाइयों को छूने का अवसर पाया है.
सरकार की भूमिका
सरकार ने एसी उद्योग को समर्थन देने के लिए कई पहल की हैं
- वित्तीय प्रोत्साहन: PLI योजना के तहत कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए गए हैं, जो उनके उत्पादन को बढ़ाने और स्थानीयकरण को प्रोत्साहित करने में मददगार साबित हुए हैं.
- नीति सुधार: सरकार ने नीतिगत सुधार किए हैं, जिनसे विनिर्माण क्षेत्र को लाभ हुआ है और उद्योग की वृद्धि को प्रोत्साहन मिला है.
- निर्यात प्रोत्साहन: निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी विभिन्न पहल की गई हैं, जिससे भारतीय एसी को वैश्विक बाजार में मान्यता मिली है.