कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में जांच तेज हो गई है. सीबीआई ने पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष से 15 दिनों से पूछताछ की है. इस पूछताछ के दौरान, सीबीआई ने कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं, जिनमें एक प्रमुख सवाल यह है कि डॉ. घोष को अपराध की जानकारी 30 मिनट देर से क्यों मिली.
घटना की जानकारी में 30 मिनट की देरी
डॉ. संदीप घोष को इस अपराध की जानकारी 9 अगस्त की सुबह 10:20 बजे मिली, जबकि शव सुबह 9:30 बजे पाया गया था. सीबीआई के अनुसार, घोष को सुबह 10 बजे के आसपास श्वसन चिकित्सा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर सुमित रॉय तापदार का फोन आया था, जिसे उन्होंने बाथरूम में होने के कारण नहीं उठाया. घटना की जानकारी उन्हें तब मिली जब उन्होंने 10:20 बजे वापस कॉल किया. इसके बाद, पूर्व प्रिंसिपल सुबह 11 बजे अस्पताल के सेमिनार हॉल में पहुंचे.
सीबीआई का नया एंगल
सीबीआई ने इस मामले में एक नया एंगल सामने लाया है. जांच एजेंसी का कहना है कि जब डॉ. घोष को अपराध की जानकारी मिली, तब अधिकारियों ने पीड़िता के माता-पिता को बुलाकर उन्हें बताया कि उनकी बेटी की आत्महत्या से मृत्यु हो गई है. यह जानकारी उस समय आई जब शव के बारे में पहले ही खुलासा हो चुका था.
अस्पताल के सेमिनार हॉल में अधिकारियों की उपस्थिति
सीबीआई की जांच में यह भी सवाल उठ रहा है कि अगर डॉ. घोष को अपराध के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, तो उनके सहयोगी अस्पताल के सेमिनार हॉल में क्यों मौजूद थे. यह सवाल भी उठाया गया है कि क्या सेमिनार हॉल में उनकी उपस्थिति इस बात का संकेत है कि अधिकारियों को पहले से ही मामले की जानकारी थी.
महिला के शरीर पर मिलीं 25 चोटें
मृत महिला का शव 9 अगस्त को अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया था, जहां वह आराम करने गई थी. शव परीक्षण के दौरान पता चला कि महिला के साथ बलात्कार किया गया था, उसे पीटा गया था, और गला दबाकर हत्या कर दी गई थी. पीड़िता के शरीर पर 25 आंतरिक और बाहरी चोटें पाई गईं.
इस मामले में सीबीआई की जांच ने कई सवाल उठाए हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि अस्पताल प्रशासन और अधिकारियों ने स्थिति को सही तरीके से क्यों नहीं संभाला. इस अपराध की पूरी सच्चाई उजागर करने के लिए सीबीआई की जांच जारी है, और उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस मामले में और भी महत्वपूर्ण जानकारी सामने आएगी.