रक्षाबंधन का महत्व और शुभ समय
रक्षाबंधन का पर्व सनातन धर्म में विशेष स्थान रखता है. यह पर्व हर वर्ष सावन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, जो भाई-बहन के प्रेम और रक्षा के संकल्प का प्रतीक है. इस वर्ष रक्षाबंधन 2024 पर शोभन योग का निर्माण हो रहा है, जो सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है. हालांकि, इस वर्ष रक्षाबंधन पर भद्रा का साया भी पड़ रहा है, जो दोपहर 01 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. इसलिए इस समय से पहले राखी बांधने से बचना चाहिए. भद्रा के बाद का समय राखी बांधने के लिए शुभ माना गया है.
राखी बांधते समय दिशा का महत्व
राखी बांधने के समय दिशा का ध्यान रखना भी आवश्यक है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बहन का मुख पश्चिम दिशा और भाई का मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए. पूर्व दिशा को अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिशा में देवताओं का वास होता है. यदि किसी कारणवश यह व्यवस्था नहीं बन पा रही हो, तो भाई उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठ सकता है, जो भी शुभ मानी जाती है. इन दिशाओं में राखी बांधने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य में वृद्धि होती है.
सूर्यास्त से पहले बांधें राखी
शास्त्रों के अनुसार, राखी बांधने का सबसे अच्छा समय सूर्यास्त से पहले का है. इस समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर राखी बांधनी चाहिए. ऐसा करने से भाई-बहन दोनों के जीवन में अपार सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यदि किसी कारणवश राखी सूर्यास्त से पहले नहीं बांधी जा सकती, तो सूर्यास्त के बाद भी राखी बांधी जा सकती है, लेकिन इस समय भाई का मुख पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए.
प्रदोष काल का विशेष महत्व
रक्षाबंधन के दिन प्रदोष काल में भी राखी बांधने का शुभ समय होता है. इस समयावधि में राखी बांधने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं. शास्त्रों में यह भी वर्णित है कि यदि दिन में राखी बांधने का शुभ समय नहीं मिल पाता है, तो प्रदोष काल में भाई का मुख पश्चिम की ओर कर राखी बांधनी चाहिए.
दाहिने हाथ पर बांधें राखी
सनातन धर्म के शास्त्रों के अनुसार, पुरुषों के दाहिने हाथ को देवताओं का स्थान माना गया है। इसे शक्ति का प्रमुख स्रोत माना जाता है. इसलिए हर शुभ कार्य, विशेषकर राखी बांधने का कार्य, दाहिने हाथ से ही किया जाता है. बहनों को अपने भाइयों की दाहिनी कलाई पर ही राखी बांधनी चाहिए, जिससे उन्हें अक्षय फल की प्राप्ति हो सके.
ध्यान रखने योग्य बातें
रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के बीच के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के अटूट बंधन का प्रतीक है. इस दिन बहनों द्वारा भाइयों की कलाई पर बांधी जाने वाली राखी इस बंधन को और भी मजबूत बनाती है. इस रक्षाबंधन पर दिशा और समय का ध्यान रखते हुए राखी बांधें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि का अनुभव करें.
नोट: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है और पाठकों को इसे अंतिम सत्य मानने से पहले अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए.