दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आबकारी नीति मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को अवैध बताया है. साथ ही, उन्होंने नियमित जमानत के लिए भी याचिका दायर की है.

सुप्रीम कोर्ट में याचिका
केजरीवाल की कानूनी टीम ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश के समक्ष इस मामले को मेंशन किया. इसमें उन्होंने सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी और रिमांड के आदेश को चुनौती दी है. इससे पहले, दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने का निर्देश दिया था.
21 मार्च से हिरासत में
गौरतलब है कि ईडी ने अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से वह हिरासत में हैं. मई में, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए उन्हें 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी. इसके बाद, 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी मामले में उन्हें अंतरिम जमानत दी थी, क्योंकि वह 90 दिन से अधिक समय तक जेल में थे. हालांकि, सीबीआई द्वारा 26 जून को की गई उनकी गिरफ्तारी के कारण वह अभी भी हिरासत में हैं.
मनीष सिसोदिया को मिली जमानत
अरविंद केजरीवाल की याचिका सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को आबकारी नीति मामले में जमानत दिए जाने के दो दिन बाद दायर की गई थी. 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत पर रिहा करते हुए कहा था कि 17 महीने की लंबी कैद और एक ऐसे मामले में उनकी लगातार हिरासत, जिसमें जल्द ही मुकदमे के समाप्त होने की कोई उम्मीद नहीं है, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता और त्वरित सुनवाई के मौलिक अधिकार का हनन करती है.
कानूनी दांव-पेंच
अरविंद केजरीवाल ने अपनी याचिका में दावा किया है कि उनकी गिरफ्तारी और रिमांड आदेश गैरकानूनी हैं और इसे रद्द किया जाना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है और मामले में उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा है कि सीबीआई और ईडी द्वारा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है, जो राजनीति से प्रेरित है.

भविष्य की राह
अरविंद केजरीवाल की इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कब होगी, यह अभी तय नहीं हुआ है. लेकिन यह मामला न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी बेहद संवेदनशील है. अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाती है और केजरीवाल की जमानत याचिका पर क्या फैसला आता है.
यह मामला दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है और इसके नतीजे का इंतजार पूरे देश की राजनीतिक बिरादरी कर रही है.