भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) और उसके ट्रस्टी पर कुल 3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. यह जुर्माना कंपनी द्वारा अपने कुछ म्यूचुअल फंड स्कीमों के खर्च का गलत तरीके से भुगतान करने के आरोप में लगाया गया है.
मामले की पृष्ठभूमि
सेबी ने 8 अगस्त के अपने आदेश में बताया कि निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट ने अपनी कुछ स्कीमों के खर्चों को अपने बहीखातों (बुक्स) से वहन किया, जो कि सेबी के नियमों का उल्लंघन है. सेबी के 2018 के सर्कुलर के अनुसार, म्यूचुअल फंड स्कीमों से जुड़े सभी खर्चों का भुगतान उस स्कीम से ही किया जाना चाहिए। यह नियम सभी म्यूचुअल फंड स्कीमों पर लागू होता है.
जांच में क्या पाया गया
सेबी की जांच के दौरान यह सामने आया कि निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट के कुल व्यय अनुपात (TER) ढांचे में कुछ अनियमितताएं थीं. कंपनी ने पांच एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) में वास्तविक खर्च से कम राशि का व्यय दिखाया. इस तरह, कंपनी ने योजनाओं के अतिरिक्त खर्चों को वहन करके सेबी के नियमों का उल्लंघन किया.
जुर्माना और आदेश
सेबी ने निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट पर 2 लाख रुपये और निप्पॉन लाइफ इंडिया ट्रस्टी पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. नियामक ने इन दोनों को 45 दिनों के भीतर जुर्माना राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है.
नियमों का उल्लंघन
सेबी के अनुसार, निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट ने 22 अक्टूबर 2018 के सर्कुलर के प्रावधानों का उल्लंघन किया है. इस सर्कुलर में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि म्यूचुअल फंड स्कीम से जुड़े सभी खर्चों का भुगतान उसी स्कीम से किया जाना चाहिए, न कि एएमसी, उसके सहयोगी, प्रायोजक, ट्रस्टी या किसी अन्य इकाई के बहीखातों से.
निप्पॉन लाइफ का उत्तरदायित्व
SEBI ने इस मामले में निप्पॉन लाइफ इंडिया ट्रस्टी लिमिटेड की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं. ट्रस्टी के जिम्मे यह सुनिश्चित करना होता है कि एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) सभी नियमों का पालन कर रही है. लेकिन इस मामले में, ट्रस्टी ने भी अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया, जिससे उन पर भी जुर्माना लगाया गया.
इस मामले का महत्व
यह मामला म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दर्शाता है कि सेबी नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई करने से नहीं हिचकिचाती है. इससे अन्य एसेट मैनेजमेंट कंपनियों को भी यह संदेश मिलता है कि वे अपने फंड्स के खर्चों के प्रबंधन में पूरी पारदर्शिता बरतें और सेबी के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करें.
निष्कर्ष
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि सेबी म्यूचुअल फंड्स के संचालन में पारदर्शिता और नियमों के पालन को लेकर बहुत गंभीर है. निप्पॉन लाइफ इंडिया एसेट मैनेजमेंट और उसके ट्रस्टी पर लगाया गया यह जुर्माना अन्य एएमसी और ट्रस्टियों के लिए एक सख्त चेतावनी है कि किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.