भारत के पूर्व विदेश मंत्री Natwar Singh का हुआ निधन
भारत के पूर्व विदेश मंत्री Natwar Singh का लम्बी बीमारी के चलते शनिवार की देर रात को निधन हो गया वे 93 वर्ष के थे। Natwar Singh का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था ,और उन्होंने अपनी आखरी सांस दिल्ली के निकट गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में ली ,पारिवारिक सूत्रो से पता चला है कि उनका अंतिम संस्कार रविवार को दिल्ली में किया जाएगा।
Padmbhushan से हुए सम्मानित :
Natwar Singh को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया ,यह भारत सरकार के द्वारा दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है ,जो कि देश के बहुमूल्य योगदान के लिए दिया जाता है। नटवर सिंह ने अपने देश के लिए बहुमूल्य योगदान दिया है।
Natwar singh का व्यक्तिगत जीवन :
Natwar Singh का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ। उनके पिता का नाम गोविन्द सिंह और उनकी माता का नाम प्रयाग कौर था। वह अपने माता पिता की चौथी संतान थे। उनका विवाह 1967 में हेमिंदर कौर से हुआ था। हेमिंदर कौर पटियाला के अंतिम महाराज यादवेंद्र सिंह की सबसे बड़ी बेटी थी ,उनकी माता का नाम मोहिंदर कौर था,जो की सार्वजनिक रूप से बहुत सक्रिय थी।
Natwar Singh का राजनैतिक कॅरियर :
नटवर सिंह ने अपने राजनैतिक कॅरियर की शुरुआत में कांग्रेस से टिकट पर राजस्थान के भरतपुर जिले से चुनाव लड़ा था ,जहाँ से जीतकर वो लोकसभा सांसद बने थे | 1985 में उन्होंने राज्य मंत्री की शपथ ली ,इसके बाद 1986 में उन्हें विदेश मंत्री चुना गया। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार में विदेश मंत्री बनने से पहले नटवर सिंह का विदेश सेवा (आई एफ़ एस ) में 31 वर्ष का कार्यकाल रहा। उन्होंने भारतीय विदेश सेवा के रूप में अपनी सेवाएं दी ,वे अमेरका ,चीन और संयुक्त राष्ट्र सहित कई अन्य देशो में भी पदस्थ रहे।
दर्जनों किताबें लिखी :
Natwar Singh को किताबें लिखने का बहुत शौक़ था उन्होंने दर्जनों किताबे लिखी ,जिसमे ” द लीगेसी ऑफ़ नेहरू : अ मेमोरियल ट्रिब्यूट ” , ” ट्रेजर्स एपिस्टल्स “,” टेल्स फ्रॉम मॉडर्न इंडिया “एवं उनकी आत्मकथा “वन लाइफ इस नॉट एनॉफ ” शामिल है।
आत्मकथा से हुआ था राजनैतिक गलियारों में हंगामा :
Natwar Singh की आत्मकथा ने राजनैतिक गलियारों में हंगामा कर दिया था उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा था की राहुल गाँधी नहीं चाहते थे की उनकी माँ प्रधानमंत्री का पद संभाले क्यूंकि उन्हें डर था कि उनकी माँ को भी पिता राजीव और दादी इंदिरा की तरह ही मार दिया जाएगा।
अंतिम संस्कार :
बताया गया है कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में किया जायेगा जिसमे उनके परिवार के सभी लोग शामिल होंगे ।