RBI ने लगाया अनुमान,2025 में GDP दर रहेगा 7 %

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI)

SBI ने वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 7% रहने का अनुमान लगाया, आरबीआई के 7.2% के अनुमान से कम.

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने वित्त वर्ष 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7% रहने का अनुमान लगाया है, जो कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के 7.2% के अनुमान से कम है. SBI के अनुसार, वैश्विक आर्र्थिक मंदी के कारण व्यापार और निवेश में कमी हो सकती है, जिससे जीडीपी वृद्धि दर प्रभावित हो सकता , व्यापार में युद्ध के कारण आयात और निर्यात पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे जीडीपी वृद्धि दर प्रभावित हो गी. इसके अलावा, घरेलू मांग में कमी और निवेश में कमी भी जीडीपी वृद्धि दर को प्रभावित कर सकती है.

इन सब के बावजूद ,सरकार की बनाई गई नीतिय, निर्माण क्षेत्र में सुधार कृषि क्षेत्र में वृद्धि और भारतीय आर्थिक स्थिरता से जीडीपी में वृद्धि हो सकती है.

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RBI गवर्नर शक्तिकांत दास

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की घोषणा

RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने वित्त वर्ष 2025 के लिए अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा की है. इस नीति में ब्याज दरों, मुद्रास्फीति के लक्ष्य और आर्थिक वृद्धि के अनुमानों पर ध्यान केंद्रित किया है.MPC ने रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखने का निर्णय किया है, जबकि रिवर्स रेपो दर 3.35% पर है. MPC ने वित्त वर्ष 2025 के लिए मुद्रास्फीति के लक्ष्य को 4% पर निर्धारित किया है, जिसमें 2% की ऊपरी और निचली सीमा है,MPC ने वित्त वर्ष 2025 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.2% पर निर्धारित किया है.

इन मौद्रिक नीतियों की वजह से ब्याज दरों को बनाए रखने से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है,मुद्रास्फीति के लक्ष्य को 4% पर निर्धारित करने से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी,और आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 7.2% पर निर्धारित करने से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्तीय वर्ष 2024 –25 को विस्तार से बताते हुए कहा की जून के महीने में खुदरा मुद्राफिसती का दर 5.1 दर्ज किया गया.उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए ANI से बताया की “हमने जून में पिछले एमपीसी में दिए गए प्रक्षेपण के संबंध में वर्तमान वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के लिए विकास प्रक्षेपण को थोड़ा नियंत्रित किया है। यह मुख्य रूप से कुछ उच्च आवृत्ति संकेतकों के बारे में अद्यतन जानकारी के कारण है जो प्रत्याशित कॉर्पोरेट लाभप्रदता, सामान्य सरकारी व्यय और कोर उद्योगों के उत्पादन से कम दिखाते हैं”.

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