उत्तर प्रदेश के राज्य में वर्तमान में शासन कर रही आदित्यनाथ योगी की सरकार ने कावड़ यात्रा को लेकर बहुत बड़ा आदेश जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि कावड़ यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाली सभी प्रकार की दुकानों व ढाबों की नेम प्लेट पर मालिक का नाम लिखा होना चाहिए और साथ ही उनका मोबाइल नंबर भी लिखा हो. योगी सरकार की तरह ही एक ऐसा आदेश उत्तराखंड सरकार ने कावड़ यात्रा को देखते हुए जारी किया है.
हिंदू मुस्लिम मामले में बदला यूपी और उत्तराखंड सरकार का दिया आदेश
उत्तर प्रदेश में राज कर रही योगी सरकार के द्वारा कावड़ यात्रा के दौरान पड़ने वाली सभी दुकानों , ठेलों और ढाबों की नेम प्लेट पर मालिकों के नाम सहित उनके नंबर लिखे जाने का दिए जाने वाला फैसला अब एक राजनीतिक मुद्दा बन चुका है. योगी सरकार और उत्तराखंड सरकार द्वारा दिए गए इस आदेश को विपक्ष हिंदू और मुस्लिम मामले से जोड़कर देख रहा है. इस आदेश को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से जुड़ी सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी है.
आदेश को संविधान के अधिकारों का बताया उल्लंघन
सांसद महुआ मोइत्रा के द्वारा दाखिल की गई सुप्रीम कोर्ट की याचिका में योगी सरकार और उत्तराखंड सरकार पर मनमानी ढंग से आदेश देने का आरोप लगाया है. और साथ ही इस आदेश को संविधान के अधिकारों को न मानने व उल्लंघन करने का बताया है. इसके अलावा सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा यह भी कहा गया कि योगी सरकार और उत्तराखंड सरकार कानून व्यवस्था को सही ढंग से बनाए रखने के नाम पर समाज के सबसे कमजोर और दुखी वर्ग पर अपना निशाना साध रही है.
प्रोफेसर अपूर्वानंद और लेखक आकार पटेल भी आदेश के खिलाफ पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
यूपी सरकार और उत्तराखंड सरकार के जारी किए गए इस आदेश के खिलाफ न केवल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से जुड़ी सांसद महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाहिर की है बल्कि लेखक आकार पटेल और प्रोफेसर अपूर्वानंद ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. दुकान संचालकों को अपनी दुकान पर नाम व फोन नंबर लिखने पर दिए गए उत्तराखंड और यूपी सरकार के द्वारा आदेश को विपक्ष हिंदू, मुस्लिम और समाज के दबे वर्ग से जोड़ रहा है.
इस आदेश को मुसलमानों की रोजी-रोटी पर बताया खतरा
अनुच्छेद 14, 15 और 17 के अधिकारों को प्रभावित होने का हवाला देते हुए अपूर्वानंद और आकर पटेल ने योगी और उत्तराखंड सरकार के द्वारा दिए गए आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाहिर की है. और साथ ही अनुच्छेद 19 (1) का उल्लंघन करते हुए मुस्लिम लोगों के अधिकारों और रोजी-रोटी के प्रभावित होने की बात भी उनकी याचिका में कही गई है.