नशा मुक्ति पर पेचीदा सुझाव देकर मंत्री नारायण सिंह विवाद में फंसे

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मध्य प्रदेश के मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा अपने बयान के द्वारा नशा मुक्ति के लिए दिए गए एक सुझाव को लेकर विवादों में फंस गए हैं. उनके सुझाव में उन्होंने सुझाया की जो पुरुष शराब पीते हैं, वे अपने घर में अपनी पत्नियों और बच्चों के समक्ष ही शराब का सेवन करें. साथ ही उन्होंने कहा कि शराब पीने वाले पुरुषों की पत्नियों को अपने शराबी पतियों के लिए खाना नहीं बनना चाहिए.

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मध्य प्रदेश (भोपाल) के मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा द्वारा शराब पीने वाले पुरुषों की शराब की लत छुड़ाने हेतु दिए गए एक बेहद ही अजीबोगरीब सुझाव के कारण हर तरफ उनकी निंदा हो रही है. उन्होंने सुझाया की महिलाओं को अपने शराबी पतियों के लिए खाना नहीं बनना चाहिए और शराबी पतियों को अपनी पत्नियों एवं बच्चों के सामने ही शराब पीनी चाहिए.

उन्होंने पुरुषों की शराब की लत छुड़ाने हेतु कई तरह के तर्क दिए. उन्होंने अपने बयान के दौरान कहा कि शराब पीने वाले पतियों की पत्नियों उनसे कहे कि वह शराब घर पर ही लाकर पिएं. उनका मानना है कि जब भी अपनी पत्नी और बच्चों के सामने शराब पियेंगे तो उन्हें खुद पर शर्म आएगी जिससे वह थोड़े समय में शराब मुक्त हो जाएंगे.

शराबी पतियों को न दें खाना.

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मंत्री नारायण सिंह ने महिलाओं को सुझाया कि वह अपने शराबी पतियों के लिए खाना ना बनाएं बल्कि उन्हें बेलन से डराएं. उन्हें अपनी तरह अपने पति की शराब की लत से परेशान औरतों को इकट्ठा कर एक ‘बेलन गिरोह’ तैयार करना चाहिए और इसका इस्तेमाल पुरुषों की शराब की लत छुड़ाने के लिए करना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को शराबी पुरुषों के लिए खाना नहीं बनना चाहिए. उन्हें बेलन गिरोह का निर्माण कर बेलन से उन्हें डरना चाहिए और तुरंत ही उन्होंने यह बयान भी दिया की बहुत से लोग सामाजिक दबाव के अनुसार चलने पर विवश होने के कारण गलत चीजों को रोक नहीं पाते पर सामाजिक दबाव में ना आकर गलत कामों को रोकना चाहिए.

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मंत्री नारायण सिंह

प्रदेश में हो सकती है शराब बंदी

मध्य प्रदेश में शराब बंदी पर विचार किया जा रहा है. समाचार एजेंसी पीटीआई से मंत्री ने कहा कि उन्होंने शराब बंदी का सुझाव अपने पिछले कार्यकाल में दिया था किंतु जिन राज्यों में शराब बंदी करवाई गई थी, वहां पर भी ऐसे ही हालात नज़र आ रहे हैं. केंद्र एवं राज्य सरकारें भविष्य में सरकार के स्तर पर विचार करके जन जागरण के जरिए शराब बंदी का फैसला ले सकती हैं.

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