सुप्रीम कोर्ट में दी हुई याचिका मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वापस ली

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ED के द्वारा शराब नीति घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया था. जिसके बाद उन्हें अभी एक हफ्ते पहले निचली अदालत से 1 लख रुपए के बोडं बेल पर जमानत मिल गई थी. लेकिन केजरीवाल के जेल से निकलने से पहले ही ED ने केजरीवाल की जमानत पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट में याचिका डाल दी थी. जिस पर हाईकोर्ट ने पहले केजरीवाल की जमानत पर अंतरिम रोक लगाई फिर सुनवाई होने के बाद निचली अदालत से मिली जमानत को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट के द्वारा अंतरिम रोक लगाने पर ही केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका लगाई थी ,जिसे अब उन्होंने वापस ले लिया है.

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

आज सुप्रीम कोर्ट में हुई थी सुनवाई

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दी हुई अर्जी को वापस ले लिया. जिस पर याचिका वापस लेने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को दे दी. अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में ED के द्वारा हिरासत में लिया गया था. जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट में केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई की गई.

ED ने नहीं जताई कोई भी आपत्ति

ED के द्वारा भी याचिका वापस लेने पर कोई परेशानी दर्ज नहीं कराई गई. साथ ही कोर्ट ने भी 25 जून को आए हाई कोर्ट के फैसले पर याचिका दाखिल करने की छूट केजरीवाल को दे दी है.

ट्रायल कोर्ट ने सही से नहीं की जांच

दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल को मिली निचली अदालत से जमानत के आदेश पर 25 जून को रोक लगा दी थी. हाई कोर्ट का कहना था कि निचली अदालत में सही से सभी दस्तावेजों को नहीं देखा था तथा निचली अदालत का फैसला गलत था. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार ED को निचली अदालत में अपना पक्ष रखने का मौका सही से नहीं दिया गया जो कि निचली अदालत को देना चाहिए था. हाई कोर्ट के मनी लांड्रिंग एक्ट की आईपीसी 45 के दो कानून का पालन ट्रायल कोर्ट के द्वारा नहीं किया गया है.

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

हाई कोर्ट का यह भी कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को ट्रायल कोर्ट ने सही ढंग से पालन नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा केजरीवाल को चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट के उसे फैसले को व्यक्तिगत स्वतंत्रता नहीं कहा जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने टाल दी थी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दयार की हुई याचिका पर 24 जून की सुनवाई को टाल दिया था. सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट को इस बात का आश्चर्य हुआ कि, हाई कोर्ट ने जमानत की रोक के फैसले को सुरक्षित रखा जबकि जमानत की रोक पर आदेश उसी समय दे दिया जाता है.

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