आज सुबह 11:00 बजे लोकसभा के स्पीकर पद का चुनाव हुआ, जिसमें यह पद ओम बिरला को सौंप दिया गया है. ओम बिरला एनडीए के उम्मीदवार थे. जानिए कैसा रहा आंकड़ों का समीकरण.
लोकसभा स्पीकर पद के लिए ओम बिरला का चयन हो चुका है. एक बार फिर लोकसभा स्पीकर का पद एनडीए के हिस्से में आया है. ओम बिरला एनडीए के उम्मीदवार रहे और वही सुरेश इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार रहे. इस पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में गंभीर खींचातानी का माहौल रहा किंतु परिणाम एनडीए के पक्ष में आया. इस पूरे चुनाव में ओम बिरला का परला भारी रहा. क्योंकि इस समय 233 सांसद इंडिया एलायंस के हैं और 5 सांसदों ने अब तक शपथ नहीं ली. यही कारण है कि वे वोटिंग का हिस्सा नहीं बन पाए और यही कारण था कि इंडिया गठबंधन कमजोर रहा.

कांग्रेस के सांसद शशि थरूर, समाजवादी पार्टी के अफजल अंसारी, वह तृणमूल कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा, दीपक अधिकारी एवं शेख नुरुल इस्लाम उन सांसदों से हैं जिन्होंने शपथ नहीं ली है. शेख अब्दुल रशिद इंजीनियर दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद होने और निर्दलीय अमृतपाल सिंह डिब्रूगढ़ होने के कारण शपथ लेने में असमर्थ रहे.
एनडीए को मिली पूर्ण बहुमत
2024 के लोकसभा चुनाव में बेशक ही बीजेपी पूर्ण बहुमत से रह गई हो किंतु बीजेपी के एनडीए गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला. बीजेपी के 240 सांसद सहित एनडीए के 293 सांसद जीत हासिल कर लोकसभा पहुंचे. इसके अलावा 16 टीडीपी के सदस्य, 12 जेडीयू के सदस्य, 7 शिवसेना शिंदे गुट के सदस्य, 5 एलजेपी के सदस्य आदि मिलाकर कुल 293 सांसदों का वोट ओम बिरला के पक्ष में रहा.

यदि एनडीए के विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक गठबंधन की बात की जाए तो लोकसभा के चुनाव में इंडिया ब्लॉक गठबंधन एनडीए बहुमत के कई वोटों से पीछे रहा. कुल 293 सांसद चुनकर लोकसभा पहुंची थीं किंतु अखिलेश यादव द्वारा करहल सीट और राहुल गांधी द्वारा वायनाड सीट छोड़ देने के कारण इन सीटों में कुछ घटत हुई है.

पिछले चुनाव के मुकाबले इस वर्ष में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा साथ ही कांग्रेस पार्टी ने इस वर्ष 99 सीट हासिल की. किंतु व्हाय नॉट सेट को राहुल गांधी द्वारा छोड़े जाने पर ये सीटें 99 से घटकर 98 मात्र रह गईं. इस वर्ष समाजवादी पार्टी की भी 37 सांसद रहीं जिसके कारण अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के मुकाम पर रही. इसके बाद 29 सीटें टीएमसी की हैं, 9 सांसद उद्धव ठाकरे की और 9 ही सांसद शरद पवार की रही. 4 सांसद लालू यादव की, 8 सांसद लेफ्ट की, 3 सांसद केजरीवाल की पार्टी की, 3 सांसद जेएमएम की, 2 सांसद फारूक अब्दुल्ला के नेशनल कांफ्रेंस की, 1 सांसद केरल कांग्रेस की एवं 4 सांसद कई अन्य पार्टियों की हैं.