प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्माण का उद्घाटन किया.
भारत और दुनिया के लिए धरोहर नालंदा विश्वविद्यालय नवनिर्माण प्रारंभ हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्माण का उद्घाटन प्रारंभ किया.
नालंदा का इतिहास = विश्वविद्यालय की स्थापना 450 ईस्वी में सम्राट कुमार गुप्त प्रथम ने की थी. बाद में इसका संरक्षण पाल शासको व हर्षवर्धन द्वारा किया गया। विशेषज्ञो के अनुसार के लगभग ४०० वर्ष तक इसका परिसर शिक्षक व छात्रों से परिपूर्ण रहा. परंतु 12 वी शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इसे नष्ट कर दिया. तुर्की के शासक बख्तियार खिलजी ने इसमें आग लगवा दी थी. जो आग पूरे 3 महीने तक धधकती रही थी. यह दुनिया में तक्षशिला के पश्चात दूसरा सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। साथ ही यह विश्वविद्यालय विश्व का पहला आवासीय विश्वविद्यालय है. इसमें लगभग 300 से ज्यादा कमरे,लगभग 7 बड़े बड़े हॉल और 9 मंजिला लाइब्रेरी थी। लाइब्रेरी का नाम धर्मगूज था। इस लाइब्रेरी में 90 लाख से अधिक किताबे थी। इसमें छात्रों को निशुल्क शिक्षा ही जाती थी.
नए परिसर की विशेषताएं= नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर में 2 एकेडमिक ब्लॉक है। जिसमें 40 क्लासरूम है जिसमें कुल 1900 विद्यार्थियों के बैठने की व्यवस्था है.
विश्वविद्यालय में 2 ऑडिटोरियम भी होंगे, इसके अलावा इंटरनेशनल सेंटर व एम्फी थिएटर भी बनाया गया है जिसकी कैपेसिटी 2000 लोगों की है। छात्रों के लिए फैकल्टी क्लब और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की सुविधा भी है.
विश्वविद्यालय के नए कैंपस में बौद्ध अध्ययन, फिलोसॉफी, तुलनात्मक धर्म की पढ़ाई, इतिहास , परिस्थिति, और एनवायरनमेंटल स्ट्डीज व मैनेजमेंट की शिक्षा हेतू अलग अलग स्कूल बनाए गए है.