बीजेपी की हार को लेकर भिड़े डीएम और राजू दास ,महंत की सुरक्षा हटाई

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Raju Das Mahant

हाल ही में हुए 2024 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अयोध्या में शिकस्त हासिल की. बीजेपी की हुई इस हार को लेकर डीएम और हनुमानगढ़ के महंत राजू आपस में लड़ पड़े. मेहंत के अनुसार लोकसभा चुनाव का इलेक्शन हारने का कारण उन्होंने अधिकारियों को बताया , इसके बाद वह DM से भी लड़ पड़े. इसके बाद वहां के महंत की सुरक्षा को हटा दिया गया. जिस पर राजू दास का कहना है कि अगर उनको कोई खतरा हुआ तो प्रशासन इसका जिम्मेदार होगा.

2024 लोकसभा चुनावों में बीजेपी की हार के कारण उन्हें अयोध्या में विवादों का समय चल रहा है. योगी सरकार के मंत्री के समक्ष ही अयोध्या के डीएम और हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास के विवाद के पश्चात उनकी सुरक्षा को हटा दिया गया. सुरक्षा हटा देने के बाद महंत ने जिला प्रशासन पर आरोपों की बौछार कर दी. उन्होंने कहा कि यदि उन पर किसी भी प्रकार का कोई हमला होता है तो उसके लिए भी जिला प्रशासन ही ज़िम्मेदार होगा.

हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास का कहना है कि इस वर्ष हुए अयोध्या में लोकसभा के चुनावों में बीजेपी की हार के पश्चात कई तरह की बातें सामने आईं, इसीलिए हमने अपने कर्मचारियों की बात को सबके आगे रखा, हमारी कोई भी लड़ाई नहीं हुई थी. उन्होंने बताया कि अयोध्या में 32,000 करोड़ का बजट, भव्य मंदिर निर्माण के बाद भी इलेक्शन हार गए. जिसके कारण उन्हें बहुत दुख हुआ. ‘प्रभारी मंत्री सूर्य प्रतापी शाही’ भी आए हुए थे. वह उन्हीं से बात कर रहे थे.
राजू दास ने बताया कि, यही सब बातचीत वह अधिकारियों से कर रहे थे, इसी बीच उनकी आपस में गर्मागर्मी हो गई.

मकान खाली करने का दिया था नोटिस

महंत राजू का कहना है , जब एक महीने में उनके क्षेत्र में चुनाव था और आचार संहिता भी लागू थी ,तो उस वक्त लोगों को घर खाली करने या तोड़फोड़ करने का नोटिस देना बिल्कुल भी सही नहीं था. जिस वजह से अयोध्या के वासी अपने मन कुछ ऐसे नकारात्मक विचार बना बैठे, जिसका परिणाम हमें इलेक्शंस में देखने को मिला .और इन सब के जिम्मेदार अधिकारी और प्रशासन है.

राजा प्रजा है DM नहीं

महंत राजू दास का कहना है, अधिकारियों को मेरी बात बुरी नहीं लगनी चाहिए यह सब पढ़े लिखे हैं. यह लोकतंत्र है. यहां जनता राजा है आप नहीं. क्या लोकतंत्र में मुझे ‘डीएम साहब यह काम जनता के लिए सही नहीं हो रहा है ‘इतना भी कहने का हक नहीं है. लोकतंत्र में जनता राजा और आप सब अधिकारी सेवक हैं. आप क्या यह भी सुनने के लिए तैयार नहीं है. जनता को परेशानी हो रही है आप कुछ कीजिए क्या इतना कहने भर से हम गुनहगार हो गए?

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