
cases of streptococcal toxic shock syndrome
कोरोना के बाद अब एक नई महामारी की दहशत से दुनिया में मच सकता है हड़कंप . इस नई महामारी का नाम स्ट्रेप्टोकोकल टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम है जिसे STSS कहा जा सकता है ,और यह बीमारी कोरोना से भी खतरनाक है. यह बीमारी जापान में बहुत तेजी से फैल रही है, अब तक इसके करीब 1000 मरीज मिल चुके हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह बैक्टीरिया जिसका नाम ग्रुप ए स्ट्रैप्टॉकोकस (GAS) शरीर में घुसकर मांस खाने लगता है जिसकी वजह से 48 घंटे के अंदर उसे व्यक्ति की मौत हो सकती है. यह बीमारी बच्चों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा खतरनाक है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है. जापान में इस फैल रही महामारी के हालातो पर काबू पाने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है. जापान में फैल रही इस नई महामारी की वजह से पूरी दुनिया में फिर एक बार डर का माहौल है कि कहीं उन्हें फिर से कोरोना की तरह इसकी आपदा न झेलनी पड़े
इस बीमारी के लक्षण
बैक्टीरिया ग्रुप ए स्ट्रैप्टॉकोकस शरीर के अंदर बहुत तेजी से फैलता है और मांस खाने लगता है जिसकी वजह से इसे हुमन फ्लेश ईटिंग बैक्टीरिया भी कहा जाता है. इस बीमारी में शरीर के टिशु डैमेज होने लगते हैं, अंग फेल हो जाते हैं ,और साथ ही गले में खराश, सांस लेने में दिक्कत और पैरों में सूजन, तेज बुखार, सिरदर्द ,जीभ पर लाल या बैंगनी धब्बे और low ब्लड प्रेशर जैसी कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
इस बीमारी से बचाव कैसे करें
यह बीमारी भी कोरोना की तरह एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलती है जिसकी वजह से इसका भी इलाज कोरोना की तरह सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाना, समय-समय पर हाथ धोना और आसपास स्वच्छता रखना है तथा लक्षणों को पहचान कर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना है.
जानिए कौन से देश आ चुके है इस महामारी की चपेट में
यह बीमारी अब तक जापान के साथ-साथ यूरोप के भी कई देशों में पहुंच चुकी है जैसे कि ब्रिटेन, फ्रांस, आयरलैंड, स्वीडन ,नीदरलैंड और स्विट्जरलैंड हालांकि अब तक भारत में इसका एक भी केस सामने नहीं आया है लेकिन भारत में रोज हो रहे देश-विदेश के यातायात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. यह बीमारी भी कोरोना की तरह एक दूसरे के संपर्क में आने से होती है यही कारण है कि दुनिया में इसकी दहशत बहुत तेजी से फैल रही है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक 4 साल पहले आई महामारी कोरोना से यह अधिक खतरनाक है जिसकी वजह से पूरी दुनिया में एक डर का माहौल है कि कहीं उन्हें फिर से कोरोना की तरह परेशानी न झेलनी पड़े और फिर एक बार अपनों को न खोना पड़े.