कांग्रेस नेता राहुल गांधी के कैंब्रिज स्पीच पर बजट सत्र के दूसरे चरण में आज, सोमवार को संसद में खूब हंगामा हुआ. एक तरफ सत्ता दल के सांसदों ने राहुल से सदन में आकर माफी मांगने को कहा, तो वहीं दूसरी कांग्रेस सांसदों ने भी बीजेपी सांसदों का जवाब दिया. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने यहां तक कह दिया कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तानाशाह की तरह सरकार चला रहे हैं, और बीजेपी लोकतंत्र और देश के गौरव को बचाने की बात कर रही है.”कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी को लेकर बीजेपी नेता पीयूष गोयल के बयान को लेकर पलटवार किया. खरगे ने कहा, हमें किसी कॉलेज में डेमोक्रेसी की बात कहने पर देशद्रोही कहा जाता है।
प्रधानमंत्री कहे तो सही हम कहे तो गलत – खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ”पीयूष गोयल ने राहुल गांधी के भाषण को अपने ढंग से पेश किया. ये इस देश के डेमोक्रेसी को कुचल रहे हैं. डेमोक्रेसी की जगह बीजेपी के राज में नहीं हैं. हर स्वायत्त निकाय का दुरुपयोग कर रहे हैं.”
कैम्ब्रिज में राहुल गांधी के भाषण की बात करते हुए खरगे बोले- ”अगर किसी कॉलेज में डेमोक्रेसी की बात करते हैं तो हमें देशद्रोही कहते हैं. कोरिया में मोदीजी ने, 70 साल में जो कुछ इस देश में हुआ, जो इंडस्ट्रियलिस्ट बढ़े, जो इन्वेस्टमेंट हुआ, उसकी निंदा की. कनाडा में कहा कि जो गंदगी फैला गए हैं, मैं उसे साफ़ कर रहा हूं.” खरगे ने आगे कहा, ”अगर प्रधानमंत्री खुद विदेश में ऐसी बात कहे तो सही और राहुल गांधी कहें तो गलत हो जाता है.”
खरगे ने सदन के अंदर उन्हें न बोलने देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘अडानी के मुद्दे पर हम जेपीसी बिठाने की मांग कर रहे हैं. मुझे 2 मिनट भी नहीं बोलने दिया गया. पीयूष गोयल को बोलने के लिए 10 मिनट दिया गया. हमारा माइक भी बंद कर दिया गया और हंगामा किया गया. हम विक्रम बेताल की तरह इसके पीछे पड़े रहेंगे.
बेरोजगारी, महंगाई और ED-CBI के छापेमारी के मुद्दों को उठाएंगे – खरगे।
मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि, ‘हम आज बेरोजगारी, महंगाई और ED-CBI के छापेमारी के मुद्दों को उठाएंगे. कर्नाटक में 40% भ्रष्टाचार है, वहां पर उनका MLA रंगे हाथ पकड़ा गया लेकिन उन्हें छूट है और यहां 25-30 साल पुराने केस ढूंढ कर विपक्ष के सदस्यों को परेशान कर रहे हैं.
2023 का बजट सत्र एक महीने के अवकाश के बाद दोबारा शुरू होगा. अवकाश विभाग-संबंधित संसदीय स्थायी समितियों को अनुदान की मांगों की जांच करने और उनके मंत्रालयों या विभागों से संबंधित रिपोर्ट बनाने में सक्षम बनाने के लिए था.