तीसरी बार चीन के राष्‍ट्रपति बने शी जिनपिंग।

shee jinping

शी जिनपिंग लगातार तीसरी बार चीन के राष्‍ट्रपति बने हैं। शुक्रवार को उन्‍होंने असाधारण तौर पर अपने तीसरे कार्यकाल का आगाज किया है। नेशनल पीपल्स कांग्रेस की 14वीं बैठक में शी के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने पर मुहर लग गई थी. 10 मार्च 2023 को उनका तीसरा कार्यकाल दिया गया. 69 साल के शी तीसरे कार्यकाल के साथ ही आधुनिक चीन के सबसे लंबे वक्त तक राष्ट्र प्रमुख बन जाएंगे.

टूटी चार दशक लंबी परंपरा

शी जिनपिंग को तीसरी बार राष्ट्रपति चुनने के साथ ही चीन की कम्युनिस्ट पार्ट का चार दशक पुराना नियम टूट गया. साल 1982 से राष्ट्रपति पद का कार्यकाल 10 साल का होता था. शी को तीसरा कार्यकाल देने के साथ ही ये नियम टूट गया है. आपको बता दें कि पांच मार्च को चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की बैठक की शुरुआत हुई थी. हफ्तेभर चली इस बैठक में शी की कई नीतियों खासकर जीरो कोविड पॉलिसी को लेकर सवाल उठाए गए. हालांकि, शी इन सभी आरोपों से पार पाने में सफल हुए.

सबसे ताकतवर नेता बन गए जिनपिंग

जिनपिंग का कद पार्टी के अंदर पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़ा है। कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के एक साधारण वर्कर से आज वह दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्‍ट्रपति हैं। पिछले कई दशकों बाद चीन ऐसा नेता मिला है जो माओ के बाद इतना ताकतवर हुआ है। जिनपिंग से पहले जियांग जेमिन और हू जिंताओ को 10 साल के बाद अपना ऑफिस छोड़ना पड़ा था। साल 2018 में जिनपिंग ने संविधान में बदलाव किया था। इस बदलाव के बाद उनके आजीवन शासन का रास्‍ता भी साफ हो गया था।

कोर लीडर ऑफ चाइना का मिला था टाइटल।

शी जिनपिंग के पक्ष में हुआ मतदान करीब एक घंटे तक ही चला. काउंटिंग करीब 15 मिनट तक चली. शी के अलावा झाओ लेजी को संसद का नया अध्यक्ष और हान झेंग को नया उपाध्यक्ष चुना गया. साल 2012 में शी जिनपिंग ने पहली बार सत्ता संभाली थी. उन्हें कोर लीडर ऑफ चाइना का टाइटल दिया गया था.

क़म नहीं है जिनपिंग के लिए चुनोतियाँ।

जिनपिंग को ऐसे समय तीसरी बार चीन की सत्‍ता मिली है जब देश के सामने कई चुनौतियां हैं। मानवाधिकार से लेकर व्‍यापार और यहां तक की टेक्‍नोलॉजी तक के क्षेत्र में चीन को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। पीपुल्‍स कांग्रेस के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए जिनपिंग ने अमेरिका की आलोचना की थी। उन्‍होंने अमेरिका पर चीन को नियंत्रित करने, उसका घेराव करने और उसे दबाने की नीति अपनाने का आरोप लगाया था।

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