नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली वन नेशन वन इलेक्शन One Nation One Election कमेटी से मुलाकात की और लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
खबर है कि अलग-अलग बैठकों में, समिति के सदस्यों एनके सिंह और गुलाम नबी आज़ाद के साथ, कोविंद ने टीएमसी सांसदों कल्याण बनर्जी और सुदीप बंद्योपाध्याय, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी और समाजवादी पार्टी के नेताओं केके श्रीवास्तव और हरीश चंद यादव से मुलाकात की गई है. ये बैठकें समिति द्वारा चल रहे विचार-विमर्श का हिस्सा थीं.
इसी बीच आपको बता दें, येचुरी ने कहा कि उन्होंने पैनल को सूचित किया कि सीपीएम समिति के संदर्भ की शर्तों का विरोध किया जा रहा है, जिसका गठन 2 सितंबर, 2023 को केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा किया गया था. सीपीएम के लिए वन नेशन वन इलेक्शन को लागू करने के तरीके सुझाने के लिए समिति का निर्माण अपने आप में गलत था.
“एक राष्ट्र एक चुनाव हमारे संविधान की भावना के विपरीत है. यह अलोकतांत्रिक और संघवाद विरोधी है क्योंकि जो प्रस्तावित है वह या तो राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल छोटा करना है या इसे लंबा करना है. इनमें से कोई भी लोकतंत्र विरोधी है. यह लोगों के जनादेश पर आधारित नहीं है.
नेताओं ने पैनल से कही बड़ी बात
इसी के आगे येचुरी ने कहा कि उन्होंने पैनल को बताया कि संविधान के कम से कम चार अनुच्छेद हैं जिन्हें एक साथ चुनाव लागू करने के लिए संशोधित करने की आवश्यकता होगी.
टीएमसी सांसदों ने पार्टी प्रमुख ममता बनर्जी का पहले भेजा गया पत्र समिति को सौंपा, जिसमें पार्टी की आपत्तियां दोहराई गईं. सपा नेताओं ने समिति के सामने पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का पत्र पेश किया, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय मुद्दों के पक्ष में क्षेत्रीय या स्थानीय मुद्दों को दरकिनार कर दिया जाएगा.