नई दिल्ली: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पेश किया. आपको बता दें, विधेयक का उद्देश्य सभी धर्मों में विवाह, तलाक और विरासत समेत अन्य चीजों को नियंत्रित करने वाले कानूनों में एकरूपता लाना है. इसमें बहु विवाह आदि जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाने और सभी समुदायों के नागरिकों के लिए एक समान विवाह आयु लाने का प्रस्ताव है. इसको समाज के लिए पेश किया गया है.
बता दें, चार दिवसीय विशेष विधानसभा सत्र के दूसरे दिन सीएम धामी ने विधेयक पेश किया. सांकेतिक तौर पर वह संविधान की प्रति लेकर सदन में पहुंचे. इसी बीच यूसीसी तैयार करने के लिए गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी थी. इसके बाद विपक्ष ने मंगलवार को कहा कि मसौदा कम से कम एक दिन पहले विधानसभा के समक्ष पेश किया जाना चाहिए था ताकि विधायकों को इसका अध्ययन करने का समय मिल सके.
विपक्ष नई क्या कहा?
विधेयक लाने से पहले विशेषज्ञ समिति द्वारा तैयार प्रारूप को सदन के पटल पर रखा जाना चाहिए था, ताकि हम उसका अध्ययन कर उसके गुण-दोषों को समझ सकें. विधायकों को और समय दिया जाना चाहिए था. अगर इसे आज पेश किया गया, तो चर्चा कल होनी चाहिए, ”विपक्ष के नेता, कांग्रेस के यशपाल आर्य ने यह सारी बातें कही है.
मई 2022 में उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी को लागू करने के लिए ठोस कदम उठाना शुरू किया, जो राज्य में भाजपा का एक प्रमुख चुनावी वादा था. इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति के गठन से हुई है.
सूत्रों ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित होने के बाद यह विधेयक अन्य राज्यों के लिए अपनाने के लिए एक “मॉडल” होगा. उन्होंने कहा कि विधेयक जल्द ही गुजरात और असम विधानसभाओं में भी जाएगा ताकि वे इसे उठा सकें.