आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका को 2.9 अरब डॉलर के सशर्त अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पैकेज की दरकार है। इसे पाने के लिए सबसे बड़ी बाधा को तोड़ते हुए चीन ने श्रीलंका को ऋण पुनर्गठन में मदद करने का आश्वासन दिया है।श्रीलंका की मदद के लिए भारत की राह पर चीन भी आगे बढ़ रहा है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को इस संबंध में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा चीन ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह श्रीलंका के कर्ज पुनर्गठन में सहयोग करेगा।
विक्रमसिंघे ने दी जानकारी।
देश के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे जोकि देश के वित्तमंत्री भी हैं, ने संसद में बताया कि बीती रात हमें चीन के एक्जिम बैंक से एक नया पत्र मिला है। मैंने और सेंट्रल बैंक के गवर्नर ने हमारे आशय पत्र पर हस्ताक्षर करके कल रात ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) को भेज दिया है।
श्रीलंका चीन का सबसे बड़ा कर्जदार
श्रीलंका चीन का सबसे बड़ा कर्जदार है। इसके लोन का 52 प्रतिशत चीन का है। इसके चलते श्रीलंका को आईएमएफ से मिलने वाले बेलआउट पैकेज बाधा बन रही थी। जनवरी में श्रीलंका में अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने बेलआउट पाने के लिए आईएमएफ की शर्तों तक पहुंचने के श्रीलंका के प्रयास का जिक्र करते हुए चीन से स्पॉइलर नहीं बनने का आग्रह किया था। उन्होंने शिकायत की थी, श्रीलंकाई लोगों की खातिर, हम निश्चित रूप से आशा करते हैं कि चीन आईएमएफ समझौते को आगे बढ़ने में रोड़ा नहीं अटकाएगा।
पिछले साल IMF ने की थी घोषणा।
आईएमएफ ने पिछले साल सितंबर में श्रीलंका को 2.9 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज को चार साल से अधिक के लिए मंजूरी दे दी थी। हालांकि, देश के खराब वित्तीय आर्थिक हालातों और ऋण चूक के बाद आईएमएफ ने इस राहत पैकेज को रोक दिया था। ट्रेजरी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जून 2022 के अंत तक, श्रीलंका पर द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और वाणिज्यिक ऋणों का लगभग 40 बिलियन अमरीकी डालर बकाया था। इसमें, चीनी ऋण कुल ऋण का 20 प्रतिशत और द्विपक्षीय ऋण का 43 प्रतिशत था।
आईएमएफ से राहत की उम्मीद।
विक्रमसिंघे ने आगे कहा कि आईएमएफ से बेलआउट पैकेज के संबंध में हमने अपने हिस्से की जिम्मेदारी पूरी कर दी है। हमें उम्मीद है कि आईएमएफ इस मुद्दे पर महीने के तीसरे या चौथे सप्ताह तक अपना काम पूरा कर देगा। उन्होंने आगे कहा कि इससे हमें विश्व बैंक और एडीबी से धन प्राप्त करने में और भी मदद मिलेगी। गौरतलब है कि ऋण चुकौती पर दो साल की मोहलत देने वाले पिछले चीनी पत्र को आईएमएफ द्वारा अपर्याप्त माना गया था।