होली का महत्वहिन्दू धर्म के अनुसार होलिका दहन मुख्य रूप से भक्त प्रह्लाद की याद में किया जाता है । भक्त प्रह्लाद राक्षस कुल में जन्मे थे परन्तु वे भगवान नारायण के अनन्य भक्त थे । उनके  पिता हिरण्यकश्यप को उनकी ईश्वर भक्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए  हिरण्यकश्यप  ने प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के जघन्य कष्ट दिए। उनकी बुआ होलिका जिसको ऐसा वस्त्र वरदान में मिला हुआ था जिसको पहन कर आग में बैठने से उसे आग नहीं जला सकती थी।  होलिका भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए वह वस्त्र पहनकर उन्हें गोद में लेकर आग में बैठ गई । भक्त प्रह्लाद की विष्णु  भक्ति के फलस्वरूप होलिका जल गई और प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। शक्ति पर भक्ति की जीत की ख़ुशी में यह पर्व मनाया जाने लगा।साथ में  रंगों का पर्व यह सन्देश देता है कि काम,क्रोध,मद,मोह एवं लोभ रुपी दोषों को त्यागकर ईश्वर भक्ति में मन लगाना चाहिए। 

holika dahan

होलिका दहन का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. होलिका दहन को बहुत सी जगहों पर छोटी होली भी कहते हैं. पूरे देश में आज होलिका दहन का त्योहार मनाया जाएगा. लेकिन कई लोगों को कंफ्यूजन है कि होलिका का त्यौहार कल मनाया गया या आज मनाया जाएगा ऐसे में आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, पूजन सामग्री और इससे जुड़ी कई बातें.

भद्रा में पूजन से होगा नुकसान

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 7 मार्च को शाम 6:24 से रात 8:51 तक रहेगा. इस तरह 2 घंटे 27 मिनट तक ही शुभ मुहूर्त है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक 7 मार्च 9:13 तक धृति योग है. इस दौरान नए काम की शुरुआत करना शुभ माना जाता है

यह है होलिका दहन की पूजा विधि

होलिका दहन की पूजा के लिए सबसे पहले पूजा करने वाले जातकों को होलिका के पास जाकर पूर्व दिशा में मुख करके बैठना चाहिए। इसके बाद पूजन सामग्री जिसमें कि जल, रोली, अक्षत, फूल, कच्‍चा सूत, गुड़, हल्‍दी साबुत, मूंग, गुलाल और बताशे साथ ही नई फसल यानी कि गेहूं और चने की पकी बालियां ले लें। इसके बाद होलिका के पास ही गाय के गोबर से बनी ढाल रखे। साथ ही गुलाल में रंगी, मौली, ढाल और खिलौने से बनी चार अलग-अलग मालाएं रख लें। इसमें पहली माला पितरों के लिए, दूसरी पवनसुत हनुमान जी के लिए, तीसरी मां शीतला और चौथी माला परिवार के नाम से रखी जाती है। इसके बाद होलिका के की परिक्रमा करते हुए उसमें कच्‍चा सूत लपेट दें। यह परिक्रमा आप अपनी श्रद्धानुसार 3, 5 या 7 बार कर सकते हैं। इसके बाद जल अर्पित करें फिर अन्‍य पूजन सामग्री चढ़ाकर होलिका में अनाज की बालियां डाल दें।

उज्जैन में बिना मुहूर्त दहन की होली।

मध्यप्रदेश में उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में सोमवार शाम होलिका दहन किया गया। महाकाल मंदिर परिसर में बिना मुहूर्त होलिका दहन की परंपरा है। शाम को भगवान महाकाल की आरती के बाद होली जलाई जाती है। इससे पहले भक्तों ने भगवान महाकाल के साथ जमकर होली खेली। सुबह 40 क्विंटल फूल अर्पित कर होली खेली गई। इंदौर में राजबाड़ा और ग्वालियर में सनातन धर्म मंदिर पर होली जलाई गई।

पूजा करने से नकारत्मकता दूर होती हैं।

होलिका दहन की विधिवत पूजा करने से घर में नकरात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं। साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। इतना ही नहीं होलिका दहन की पूजा विधिवत के साथ करने से परिवार के सदस्यों को बीमारियों से मुक्ति मिलती है।

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