Dehli Air Pollution: दिल्ली में प्रदूषण और स्मॉग की वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। अस्थमा और अन्य श्वसन समस्याओं वाले लोगों के लिए यह विशेष रूप से कठिन है। यहां तक कि युवाओं को भी बाहर निकलते ही परेशानी होने लगती है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे एलर्जी, अधिक वजन होना, धूम्रपान, प्रदूषण, बहुत ठंडा मौसम, चिंता, कैंसर, बहुत अधिक टीवी देखना, अस्थमा, हृदय की समस्याएं और एनीमिया। और फेफड़ों और ब्रोन्कियल नलियों में सूजन के कारण अस्थमा से पीड़ित लोगों को सांस लेने में भी परेशानी होती है। लेकिन चिंता न करें, ऐसे कई घरेलू और प्राकृतिक उपचार हैं जो सांस की तकलीफ में मदद कर सकते हैं।
नमक के पानी से गरारा करें:
नमक के पानी से गरारा करना एक प्रभावी तरीका है जो सांस की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। एक गिलास गरम पानी में आधा छोटा चमच नमक मिलाकर इसे गरारा करें। इससे गले की सूजन कम होगी और सांस लेने की क्रिया में सुधार होगा।
अदरक का रस:
अदरक में विशेष रूप से मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण सांस की समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। एक छोटी सी कद्दुकस की हुई अदरक को निचोड़कर उसका रस निकालें और इसे एक चमच शहद के साथ मिलाकर लें। यह सांस को स्वच्छ करने में मदद कर सकता है।
तुलसी के पत्ते:
तुलसी के पत्तों में वायरस और बैक्टीरिया को मारने के गुण होते हैं जो सांस की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं। तुलसी के पत्तों को चबाने और निगलने से ब्रेथ को ताजगी मिलती है और सांस की समस्याओं को कम करता है।
लौंग का तेल:
लौंग का तेल एक अच्छा उपाय है जो सांस की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है। लौंग का तेल को थोड़ी मात्रा में गर्म करें और इससे गरारा करें। यह सांस लेने की क्रिया को सुधार सकता है और फेफड़ों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
हल्दी और दूध:
हल्दी में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो सांस की समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकते हैं। एक चमच शहद में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर इसे गरम दूध में पिएं। यह सांस को उत्तेजित करने के साथ-साथ स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है।
इन घरेलू उपायों का पालन करके आप प्रदूषण के कारण होने वाली सांस की समस्याओं को दूर कर सकते हैं। यदि समस्या बिगड़ रही है या लंबे समय से चल रही है, तो डॉक्टर से परामर्श करना भी उचित है। स्वस्थ जीवनशैली और घरेलू उपचारों का सही उपयोग करके हम स्वस्थ रह सकते हैं और प्रदूषण के असरों से बच सकते हैं।