राक्षस प्राजाति से होने पर भी जानिए क्यों किया जाता है आज भी रावण का सम्मान, ये रही डीटेल्स

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Dusshera 2023: हिंदु धर्म में दशहरा के त्योहार बड़े ही हर्षो उल्लास से मनाया जाता है. जहां पर रावण के पुतले को जला कर के बुराई पर अच्छाई की जीत होती है. हर साल इस त्योहार को इसी प्रकार से मनाया से देशभर में मनाया जाता है. लेकिन, आपको जानकर के हैरानी होगी, कि ऐसी बहुत सी जगहें है, जहां पर रावण का पूजन किया जाता है. इसके साथ ही दशहरे के दिन पर उनकी मृत्यू का शौक भी मनाया जाता है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि रावण के गुणों के बारें में कोई चर्चा नही करता है. आज के इस आर्टिकल में आपको रावण के गुणों के बारें में हम बतानें जा रहे है. तो आइए जानते है.

रावण थे शिव के बड़े भक्त

आपको शायद पता ना हो, लेकिन रावण जो की एक राक्षस थें. वे राक्षस होने के बावजुद भी शिव के बहुत बड़े भक्त थे. जिन्होनें शिव भगवान की वर्षाें तक तपस्या की थी. वहीं एक बार रावण ने भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश को अपनी हथेली पर उठाकर के लंका में स्थित करना चाहा. जिसमें वे असफल हुए. लेकिन इसके बाद ही उन्होनें शिव तांडव स्त्रोत का निर्माण कर भगवान शिव को पूजा और प्रसन्न किया.

रावण थे ब्रह्मदेव के परपोते

जानकारी के लिए बता दें, कि रावण ब्रह्मदेव के वंशजांे में से एक है, क्योंकि रावण ऋषि विश्रव के बेटे थे. जो की पुल्सत्य के पुत्र माने गए है. बताया जाता है, कि पुल्सत्य ब्रह्मदेव के पुत्र प्रजाति से थे.

बड़े वेदों के ज्ञाता

शास्त्रों में बताया गया है, कि रावण एक बेहद बड़े विद्वान थे. जिन्हें विज्ञान, वेदों, गणित का और राजनीति का बहुत ज्यादा ज्ञान था. ऐसा बताया जाता है, कि उनके पिता जी एक ऋषि थे. साथ ही में उनकी माता एक राक्षसी थी. उनके पास वेदों के अलावा भी बहुत ज्ञान था. जिसकी वजह से उन्हें ज्ञाता कहा जाता है.

रावण से एक महान संगीतकार

लंकापति के नाम से जानें जाने वाले रावण राजा और ज्ञाता होने के साथ साथ एक बड़े संगीतकार भी मानें गए है. वीणा बजाकर के उन्होनें भगवान शिव की उपासना कर उन्हें प्रसन्न भी किया था.

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