त्रिपुरा चुनाव में प्रद्योत देबबर्मा की पार्टी ने दी बीजेपी को कड़ी टक्कर।

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पूर्वोत्तर भारत में हुए त्रिपुरा , नगालैंड और मेघालय विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके है . यहां रुझानों में बीजेपी (BJP) को नगालैंड और त्रिपुरा में बहुमत मिल गया है. वहीं, त्रिपुरा की क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा ने भी 11 सीटों पर बढ़त बना रखी है. इसी पार्टी के नेता प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा है।
44 के प्रद्योग त्रिपुरा राजपरिवार के मौजूदा मुखिया हैं. एक जमाने में वह कांग्रेस पार्टी में थे. वर्ष 2019 में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी. कुछ समय पहले उन्होंने राज्य में नई पार्टी तिपरा मोथा बनाकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा।

बीजेपी के साथ आ सकते है प्रद्योत किशोर

बता दें कि किशोर माणिक्य देबबर्मा पूर्वोत्तर में राजाओं के घराने से ताल्लुक रखते हैं. उनके बाप-दादा राजा रहे हैं. स्थानीय स्तर पर उनकी आदिवासी मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रियता है. जनता के हित में उन्होंने त्रिपुरा में कई कैंपेन भी चलाए हैं. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी से गठबंधन के सवाल पर आज उनकी ओर से कहा गया, “बीजेपी यदि जनजातियों के लिए मजबूती से हमारे साथ खड़ी होगी तो हम उसे समर्थन देंगे.” .

आदिवासियों के हितों की करते है मांग।

त्रिपुरा राजपरिवार के प्रमुख प्रद्योत विक्रम किशोर मानिक्य देव बर्मा को आमतौर पर प्रद्योग मानिक्य के तौर पर ज्यादा जाना जाता है. उनका त्रिपुरा आदिवासियों को लेकर बनाया गया गठजोड़ दो साल पुराना है. उनकी पार्टी पहले ही प्रयास में दहाई से ज्यादा सीटें जीत रही है.उनकी सभाओं में लगातार नारे लगते थे बुबाग्रा बागवी या बुबाग्रा सभी के लिए. राज्य में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रह चुके प्रद्योत ने दिसंबर 2019 में तिपरा मोथा अलायंस खड़ा किया. वह अपनी पार्टी के गठन के बाद से मूल निवासी आदिवासियों के लिए ग्रेटर त्रिपुरालैंड की मांग करते रहे हैं।

42 सीटों पर लड़े, 13 पर मिली जीत

त्रिपुरा की कुल 60 में से प्रद्योत की पार्टी टिपरा मोथा ने 42 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा. टिपरा मोथा ने अपने पहले ही चुनाव में आदिवासी वोट में ऐसी सेंध लगाई कि लेफ्ट और कांग्रेस कहीं पीछे छूट गए. पिछले लोकसभा चुनाव से पहले जब कांग्रेस त्रिपुरा में 2% से कम वोट के साथ लड़खड़ा रही थी, तब उसने साल 2018 में तीन बार के सांसद किरीट बिक्रम देबबर्मा और दो बार की विधायक बिभु कुमारी के बेटे प्रद्योत को पीसीसी प्रमुख की जिम्मेदारी दी थी. परिणाम एक साल के भीतर दिखाई देने लगे. बीजेपी में कांग्रेस के कई चेहरों के शामिल होने के बावजूद कांग्रेस का वोट शेयर 26% तक बढ़ गया.

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