Gautam Adani के नेतृत्व वाले अडानी समूह को नई रिपोर्ट सामने आने के साथ ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। Hidenburg रिपोर्ट के बाद, संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCRP) ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें आरोप लगाया गया है कि अदानी समूह ने गुप्त रूप से अपने शेयर खरीदे, जिसके परिणामस्वरूप कंपनी के शेयर की कीमतों में गिरावट आई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि Adani Group की कंपनियां 2013 और 2018 के बीच गुप्त शेयर बायबैक में लगी थीं। यह दो उदाहरणों पर प्रकाश डालता है जहां निवेशकों ने विदेशी कंपनियों के माध्यम से अदानी समूह के शेयरों का कारोबार किया, जिसमें लेनदेन मॉरीशस के माध्यम से किया गया था। इन लेनदेन से संबंधित आंतरिक ईमेल OCCRP द्वारा देखे गए हैं। हिंडनबर्ग रिसर्च ने लेनदेन में मॉरीशस की भागीदारी का भी उल्लेख किया।
OCCRP की रिपोर्ट में 2 निवेशकों- नसीर अली शाबान अहली और चांग चुंग-लिंग का नाम लिया गया है। कहा गया है कि ये दोनों अडानी परिवार के लंबे समय से बिजनेस पार्टनर हैं। आरोप है कि Adani परिवार के एक सदस्य की कंपनी द्वारा इन दोनों को निवेश करने के लिए निर्देश दिए गए थे। यानी ये दोनों निवेशक अडाणी परिवार के साथ सामंजस्य करते हुए कंपनी में निवेश कर रहे थे।

अदानी समूह ने आरोपों का दृढ़ता से खंडन किया और कुछ विदेशी मीडिया आउटलेट्स पर स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाया। कंपनी का तर्क है कि दावे पुराने मामलों पर आधारित हैं जिन्हें पहले ही सुलझाया जा चुका है। राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने ओवर-इनवॉइसिंग, विदेशी फंड ट्रांसफर और संबंधित पक्षों में निवेश के आरोपों की जांच की। हालाँकि, एक स्वतंत्र निकाय और अपीलीय न्यायाधिकरण ने निर्धारित किया कि ये लेनदेन गैरकानूनी नहीं थे।
एक रिपोर्ट जारी होने के बाद, अदानी समूह के भीतर विभिन्न कंपनियों के शेयर की कीमतों में कमी देखी गई है। अदानी पोर्ट, अदानी एंटरप्राइजेज, अदानी पावर, अदानी ग्रीन एनर्जी और अदानी विल्मर सभी के शेयरों में 4% तक की गिरावट देखी गई है। उदाहरण के लिए, अदानी एंटरप्राइजेज में 3.46% की गिरावट देखी गई है और यह 2,427.45 रुपये पर कारोबार कर रहा है। इसी तरह, अदानी पावर में 14 रुपये की गिरावट देखी गई है, जिससे इसका शेयर मूल्य 314.20 रुपये हो गया है।
OCCRP खोजी पत्रकारों का एक समूह है, जिसकी स्थापना साल 2006 में की गई थी। कंपनी का कहना है कि वे संगठित अपराध और भ्रष्टाचार के मामलों पर नजर रखती है। कंपनी को जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर फंड जैसी संस्थाओं से फंडिंग मिलती है। कंपनी अब तक इजराइल, रूस, स्वीडन, फिलीपींस जैसे देशों में कई बड़े भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा कर चुकी है। पनामा पेपर्स जारी करने में भी OCCRP की अहम भूमिका थी।