गर्मी की छुट्टियों में CBSE क्लासेस पर हाई कोर्ट की रोक। केरल हाईकोर्ट ने कहा बच्चों को पढ़ाई से थोड़ा ब्रेक चाहिए।

kerala high court

केरल हाईकोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE ) के स्कूलों को 14 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए वेकेशन क्लासेस संचालित करने की अनुमति देने वाले अंतरिम आदेश को बढ़ाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि व्यस्त शैक्षणिक वर्ष के बाद छात्रों को एक ब्रेक की जरूरत होती है, इसीलिए छात्रों को गर्मी की छुट्टी दी जाती है।

मानसिक आराम के लिए समर वेकेशन जरूरी है- केरल कोर्ट

कोर्ट ने कहा हॉलीडे छात्रों को पढ़ाई पर फोकस करने में मदद करता है. वे एक्ट्राकरीक्यूलम एक्टिवीटीज में अपनी अन्य महत्वाकांक्षाओं तक पहुंच सकते हैं, जिन्हें वे आमतौर पर स्कूल वर्ष के दौरान पूरा करने में सक्षम नहीं होते हैं. इसमें आगे कहा गया, बच्चों को अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाली समय का आनंद लेने की जरूरत है, खासकर जब एक व्यस्त शैक्षणिक वर्ष उनका इंतजार कर रहा हो.

कोर्ट ने कहा, ‘छात्रों को अपने परिजनों के साथ समय बिताने और मानसिक आराम के लिए समर वेकेशन जरूरी है. केवल स्कूली किताबों पर ध्यान देना ही बच्चों के लिए पर्याप्त नहीं है. उन्हें गाने दें, उन्हें नाचने दें, उन्हें उनका पसंदीदा खाना खाने दें, उन्हें उनके पसंदीदा टीवी प्रोग्राम का आनंद लेने दें, उन्हें क्रिकेट, फुटबॉल या पसंदीदा खेल खेलने दें और उन्हें अपने रिश्तेदारों के साथ यात्राओं का आनंद लेने दें.’

बच्चों की मदद करता है हॉलीडे

कोर्ट के मुताबिक छात्रों को छुट्टियों का आनंद लेना चाहिए और अगले सेशन के लिए तैयार रहना चाहिए. कोर्ट ने कहा हॉलीडे छात्रों को पढ़ाई पर फोकस करने में मदद करता है. इस दौरान वे एक्ट्राकरीक्यूलम एक्टिवीटीज में अपना टैलेंट बढ़ा सकते हैं जिन्हें वे स्कूल में नहीं कर पाते हैं. साथ ही उन्हें अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाली समय का आनंद लेने की जरूरत भी होती है।

यह है पूरा मामला

सीबीएसई स्कूलों में वेकेशन क्लासेस करने की अनुमति देने के लिए सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक को अंतरिम निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर यह आदेश पारित किया गया। राज्य के सामान्य शिक्षा निदेशक (डीजीई) ने वेकेशन क्लासेस पर आपत्ति जताते हुए एक सर्कुलर जारी किया था।

सीबीएसई स्कूल प्रबंधन संघ ने सर्कुलर के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया। न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने आदेश दिया कि वह वर्तमान याचिका को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखे ताकि वह इसे एक उपयुक्त पीठ को सौंप सके। उन्होंने पहले के अंतरिम आदेश को आगे बढ़ाने से भी इनकार कर दिया।

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