हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर सूर्य पुत्र और न्यायाधिपति शनिदेव की जयंती मनाई जाती है। इस बार शनि जयंती 19 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी। धार्मिक और ज्योतिष के नजरिए से शनिदेव का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष में शनिदेव को न्यायप्रिय और कर्मफलदाता माना जाता है।
दुष्परिणामों को शनिदेव करते है दूर।
शनि जयंती या शनिवार के दिन विधिवत पूजा अर्चना करने से शनिदेव जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही कुंडली में मौजूद सभी दुष्परिणामों को शनिदेव दूर करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि जयंती या शनिवार के दिन कुछ ऐसे चमत्कारिक मंत्रों के बारे में बताया है, जिनके जप करने से शनि की साढेसाती, ढैय्या और महादशा के अशुभ प्रभाव में कमी आती है।
पूजन विधि
शनि जयंती के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छता पूर्वक शनि मंदिर में बैठकर सच्चे मन से 108 बार शनि स्तोत्र का जप करें। इस मंत्र के जप से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के अशुभ प्रभाव में कमी आती है और शनिदेव का आशीर्वाद भी बना रहता है।
इन राशियों को विशेष लाभ मिलेगा।
तुला राशि – तुला शनि देव की उच्च राशि है. तुला शुक्र की राशि है. इस राशि के लोगों को शनि देव परेशान नहीं करते. कर्म फलदाता शनि के आशीर्वाद से तुला राशि वालों को शनि जयंती पर आर्थिक लाभ मिलेगा. शनि की कृपा से हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी।
मकर राशि – शनि देव मकर राशि के स्वामी है. ये शनि की सबसे प्रिय राशि है. शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के दौरान भी इन राशियों को शनिदेव ज्यादा कष्ट नहीं देते हैं. ज्योतिष में कहा गया है कि मकर राशि वाले किसी भी काम को अधूरा नहीं छोड़ते इनकी मेहनत के फलस्वरूप इन्हें शनि देव के दुष्प्रभान नहीं सेहना पड़ते. इस बार शनि जयंती पर मकर राशि वालों को नौकरी और धन में लाभ प्राप्त होगा।
वृषभ राशि – वृषभ राशि के स्वामी शुक्र ग्रह है. शनि और शुक्र में मित्रता का भाव है यही वजह है कि शनि की मेहरबानी से वृषभ राशि वालों को तरक्की प्राप्त होती है. दरअसल, शुक्र की राशियों में शनि योगकारक माने जाते हैं. शनि के गोचर से वृषभ राशि वालों को नुकसान नहीं झेलना पड़ता।