नई दिल्ली: राजस्थान के अजमेर में टाडा (आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां अधिनियम) अदालत ने गुरुवार को सबूतों की कमी के कारण 1993 ट्रेन विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है. 81 वर्षीय टुंडा लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का हमलावर है. दो अन्य आरोपी जिनके नाम इरफान और हमीदुद्दीन है इनको दोषी पाया गया और अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
2013 में, अंडरवर्ल्ड डॉन और 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड दाऊद इब्राहिम के सहयोगी टुंडा को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई में विस्फोटों को अंजाम देने के आरोप में भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया गया था, ये बात 5-6 दिसंबर, 1993 की है.
ट्रेन बम विस्फोट, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए, 6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की पहली बरसी के साथ मेल खाते थे. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने टुंडा को 1993 ट्रेन विस्फोट मामले का मास्टरमाइंड माना था.
वकील का बयान
उनके वकील विनीत वर्मा ने कहा कि पिछले साल फरवरी में, हरियाणा की एक अदालत ने टुंडा को 1997 के दोहरे रोहतक विस्फोट मामले में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. इसके बाद 22 जनवरी, 1997 को रोहतक में पुरानी सब्जी मंडी और किला रोड पर दो बम विस्फोट हुए, जिसमें आठ लोग घायल हो गए. टुंडा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के पिलखुआ का रहने वाला है.





