नंबर 13 को लेकर कई संस्कृतियों में भिन्न-भिन्न मान्यताएं हैं. जबकि पश्चिमी देशों में इसे अशुभ माना जाता है, हिंदू धर्म की दृष्टि से यह अंक सकारात्मक भी हो सकता है. आइए जानते हैं इस अंक को लेकर विभिन्न मान्यताएं और ज्योतिष शास्त्र में इसके अशुभ प्रभावों के पीछे का कारण.

ईसाई धर्म में अशुभ माना जाता है 13 नंबर
ईसाई धर्म में, विशेष रूप से जब 13 तारीख शुक्रवार के दिन आती है, तो इसे अत्यंत अशुभ माना जाता है. इस दिन को “फ्राइडे द 13थ” (Friday the Thirteenth) के नाम से जाना जाता है और इस पर आधारित कई फिल्में भी बनी हैं. यह मान्यता है कि इस दिन कोई न कोई अशुभ घटना घटती है. इस कारण कई इमारतों में 13वीं मंजिल नहीं होती और सीधे 12वीं मंजिल के बाद 14वीं मंजिल होती है.
ज्योतिष शास्त्र में 13 नंबर का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अंक 13 पर ग्रह बृहस्पति का प्रभाव पड़ता है। बृहस्पति को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, लेकिन जब यह ग्रह किसी राशि के 13वें स्थान पर होता है, तो इसका अशुभ प्रभाव पड़ता है. इसके अतिरिक्त, चंद्रमा के चक्र में 13 चरण होते हैं, और 13वें चरण में चंद्रमा घटने लगता है, जिससे इसे गिरावट से जोड़ा जाता है.
मंगल ग्रह, जो ऊर्जा और आक्रामकता का प्रतीक होता है, जब किसी राशि के 13वें अंश में होता है, तो व्यक्ति को संघर्ष का सामना करना पड़ता है. इस तरह की ज्योतिषीय मान्यताओं के कारण 13 नंबर को अशुभ माना जाता है.
हिंदू धर्म में 13 नंबर की सकारात्मकता
हालांकि, हिंदू धर्म की मान्यताएं 13 नंबर को लेकर विपरीत दृष्टिकोण रखती हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए शुभ माना जाता है। महाशिवरात्रि का पर्व भी माघ माह के 13वें दिन मनाया जाता है. इसके अतिरिक्त, सावन और भाद्रपद मास की 13वीं तिथि को महिलाओं द्वारा तीज का पर्व भी मनाया जाता है.
इन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 13 तारीख विशेष अवसरों पर शुभ मानी जाती है और इस दिन महत्वपूर्ण धार्मिक क्रियाएं की जाती हैं.
निष्कर्ष
इस प्रकार, 13 नंबर को लेकर विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में अलग-अलग मान्यताएं हैं. जहां एक ओर पश्चिमी मान्यताओं के अनुसार यह अंक अशुभ माना जाता है, वहीं हिंदू धर्म इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है. ज्योतिष शास्त्र की मान्यताएं इसे अशुभ मानती हैं, जबकि धार्मिक दृष्टिकोण से यह अंक शुभ हो सकता है. इसलिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि किसी भी अंक की मान्यता सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण पर निर्भर करती है.