होली कब क्यों और कैसे मनाई जाती हैं।

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हमारे भारत देश जैसा पुरे विश्व में दूसरा और कोई भी देश नहीं जहाँ लोग एक साथ मिलकर बिना किसी भेद भाव के भाई चारे के साथ सारे त्योहारों का लुफ्त उठाते हैं।
होली का ये त्यौहार हिन्दुओं का प्रमुख और प्रचलित त्यौहार है लेकिन फिर भी इस त्यौहार को हर जगह हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर प्रेम से मनाते हैं जिसके वजह से ये त्यौहार एक दुसरे के प्रति स्नेह बढाती है और निकट लाती है।

कब होगा होलिका दहन?

इस साल होलिका दहन का त्योहार 7 मार्च 2023 को किया जाएगा।।

होली के त्योहार मैं मस्ती का आनंद।।

भारत में हर त्यौहार को बड़ी धूमधाम और खुशी के माहौल से मनाया जाता है लेकिन होली भारत का उमंग, उल्लास के साथ मनाने वाला सबसे प्राचीन त्योहार है। जिसमें लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और इस त्यौहार को धूमधाम से मनाया जाता हैHoli को रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है।Holi रंगों का त्यौहार है जिसमे बच्चे से लेकर बूढ़े व्यक्ति तक शामिल हो कर धूम धाम से इस दिन को सबके साथ मिलकर खुशियों से मनाते हैं इसलिए इस त्यौहार को सब खुशियों का त्यौहार भी कहते हैं।

होली शब्द का क्या मतलब है

पहले होली का नाम ‘ होलिका’ या ‘होलाका’ था। साथ ही होली को आज भी ‘फगुआ’, ‘धुलेंडी’, ‘दोल’ के नाम से जाना जाता है होली के पहले दिन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन की जाती है। ये भी कह सकते हैं
फाल्गुन की पूर्णिमा में होनेवाला हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार।

होली पर्व क्यों मनाया जाता है?

हमारे देश में जितने भी त्यौहार मनाये जाते हैं उन सबके पीछे एक पौराणिक और सच्ची कथा छिपी हुई होती है। ठीक उसी तरह holi में रंगों के साथ खेलने के पीछे भी बहुत सी कहानियाँ हैं। आइए जानते हैं क्या हैं इसकी पीछे की वजह

होली के इस त्यौहार से अनेको पौराणिक कहानियां जुडी हुई हैं जिनमे से सबसे प्रचलित कहानी है प्रह्लाद और उनकी भक्ति की। माना जाता है

यह त्यौहार हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के मारे जाने की स्मृति में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार प्राचीन समय में हिरण्यकश्यप नामक एक असुर था जो भगवान विष्णु का कट्टर दुश्मन माना जाता था लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद विष्णु जी का सबसे बड़ा भक्त था। अपने बेटे को अपने विरुद्ध देख हिरण्यकश्यप ने उसे मारने की योजना बनाई।
हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका जिसे आग में ना जलने का वरदान प्राप्त था उसके साथ मिलकर प्रह्लाद को मार देने का निश्चय किया। लेकिन जैसे हिरण्यकश्यप ने सोचा था हुआ बिलकुल ठीक उसके उलट। होलिका प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठ गई लेकिन आग की लपटों से झुलस होलिका की ही मृत्यु हो गई और प्रह्लाद बच गए। तभी से इस त्योहार के मनाने की प्रथा चल पड़ी।

बड़े प्यार से इस पर्व को मनाया जाता है।

आजकल तो लोग जिस किसी के साथ भी शरारत या मजाक करना चाहते हैं, उसी पर रंगीले झाग व रंगों से भरे गुब्बारे मारते हैं। प्रेम से भरे यह नारंगी, लाल, हरे, नीले, बैंगनी तथा काले रंग सभी के मन से कटुता व वैमनस्य को धो देते हैं तथा सामुदायिक मेल-जोल को बढ़ाते हैं। इस दिन सभी के घर पकवान व मिष्टान बनते हैं. लोग एक-दूसरे के घर जाकर गले मिलते हैं और पकवान खाते हैं।

गुझियों की मिठास मिठाइयां होली की विशेषता हैं. होली पर भारत में विशेष रुप से गुझियां बनाने की परंपरा है। गुझिया एक बेहद मीठी और स्वादिष्ट मिठाई होती है गुझियों के साथ होली के दिन ठंडाई पीना भी कई जगह रिवाज में शामिल है। ठंडाई एक शीतल पेय है जिसे दूध, भांग, बादाम मिलाकर बनाया जाता है। हालांकि होली के रंग में कई बार ठंडाई रंग में भंग का काम कर देता है क्योंकि ठंड़ाई में जो भांग होती है वह एक तरह का नशीला पदार्थ होता है। वह भांग की ठंडाई को ग्रहण करके लोग उसका लुफ्त उठाते हैं और पर्व को उत्साह से मनाते हैं।

होली एक धार्मिक पर्व है जो हमें खुश होने का एक मौका देता है। इसे ऐसा ना बनाएं कि किसी की खुशी छिन जाए। होली को सुरक्षित और इस अंदाज से मनाएं कि देखने वाले देखते ही रह जाएं। अपनी होली को रंगीन बनाएं और प्राकृतिक रंगों से सराबोर कर दें।

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