मई 1826 को भारत का पहला हिंदी समाचार पत्र प्रकाशित हुआ था. नाम था – उदंत मार्तंड. यानी उगता सूरज. इस समाचार पत्र के स्थापना दिवस को ही हर साल ‘हिंदी पत्रकारिता दिवस’ के रूप में मनाया जाता है
पत्रकारिता लोकतंत्र को जिंदा रखती है, यह प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन की ताकत है।आज हिंदी पत्रकारिता का दिवस मनाया जा रहा है। पत्रकारिता को चौथा स्तंभ कहा गया है पत्रकार को निष्पक्षता से सत्ता में हो रही गतिविधियों पर जनता के साथ हो रही धोखाधड़ी पर एवं तमाम मुद्दों पर जिससे लोग पत्रकार से अपेक्षा रखते हैं उस पर खुल कर बोलना चाहिए कलम को लिखते समय निष्पक्ष शुद्ध विचार स्पष्ट लेखनी होना चाहिए पत्रकारिता के गुणधर्म को कई रूप में देखा गया है। भारत में कई पत्रकार हुए जिन्होंने देश में आजादी के समय अपनी जान भी गंवा दी और भारत को बचाया अपने पत्रकारिता में उनमें से कई गुणों को अपनाया जिससे भारत आज पत्रकार दिवस मनाता है।
आपातकाल और अघोषित आपातकाल भी भारतीय प्रेस ने और हिन्दी पत्रकारिता ने देखे। तमाम बाधाओं, प्रतिबंध और प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी भारतीय पत्रकारिता ने अपनी विकास यात्रा तय की। आने वाले वर्ष 2026 में हिन्दी पत्रकारिता 200 वर्षो की हो जाएगी। भारतीय लोकतंत्र के संरक्षण और संवर्धन में पत्रकारिता, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक का महत्वपूर्ण योगदान है ।
आज जिस तरीके से पत्रकारिता को दिखाया जा रहा है वह किसी से छिपा नहीं है पत्रकार को बोलने की आजादी नहीं है लिखने की आजादी नहीं है। कलम को कुछ शब्द लिखने की आजादी बताई गई है। आज का पत्रिका निष्पक्ष नहीं है सत्ताधर पार्टी की जुबान बोलता है जनता के मुद्दों की बात नहीं करता बल्कि सरकार की चाटुकारिता करता है पत्रकार के गुणधर्म को सीखने के बाद आप पत्रकार बने।जनता के दुख दर्द को सीखना जरूरी है।