उत्तर प्रदेश में हाथरस (Hathras) स्थित बूलगढ़ी में हुए गैंगरेप (Gangrape) के मामले में गुरुवार को फैसला आया है. बूलगढी प्रकरण में एससी-एसटी कोर्ट (SC-ST Court) के स्पेशल जज त्रिलोकपाल ने फैसला सुनाया है. अपने फैसले में उन्होंने तीन आरोपियों को सामूहिक रेप में दोष मुक्त कर दिया है. जबकि एक आरोपी को दोषी करार दिय गया हैकोर्ट ने अपने फैसले में लव-कुश, रामू और रवि नाम के आरोपियों को बरी कर दिया
हालांकि कोर्ट ने एक आरोपी संदिप को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने उन्हें 304 और एससी एसटी एक्ट में दोषी पाया है. कोर्ट के इस फैसले पर पीड़ित परिवार ने एतराज जताया है. वहीं पीड़ित परिवार ने बूलगढ़ी कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की बात कही है.
हाथरस कांड उसी तरह इन दिनों गर्म है जैसे कभी दिल्ली के निर्भया बलात्कार कांड ने पूरे देश को हिला दिया था। तब आम लोग सड़कों पर थे और दिल्ली की कांग्रेस और केंद्र की यूपीए सरकार के खिलाफ उसे मुद्दा बनाकर तत्कालीन विपक्ष भारतीय जनता पार्टी और अन्ना आंदोलन के तत्कालीन सिपहसालार और आज की आम आदमी पार्टी के नेताओं और मीडिया ने पूरे देश को गरम कर दिया था। मामला था भी संवेदनशील और लोगों का गुस्सा भी स्वाभाविक था। कुछ इसी तरह हाथरस जिले के चंदवा गांव में हुए बलात्कार और उसके बाद पीड़िता की मौत ने पूरे देश के मानस को झकझोर दिया।
क्या हैं पूरा मामला
4 सितंबर 2020 को लिखी काली इबारत.
हाथरस के थाना चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर 2020 को सुबह करीब 9 बजे चारा काटने गई एक 19 वर्षीय युवती के साथ बाजरे के खेत में दरिंदो ने गैंगरेप का किया था. ओर पीड़िता बेहोशी की हालत में खेत में पड़ी हुई मिली. गंभीर अवस्था में युवती को बागला जिला संयुक्त चिकित्सालय लाया गया, जहां से उसे जेएन मेडिकल अलीगढ़ रेफर किया गया.युवती ने अपने बयानों में गांव के चार युवक संदीप, रामू, लवकुश और रवि का नाम बताते हुये गैंगरेप का आरोप लगाया था. उसके बाद पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी की और उन्हें जेल भेज दिया. 29 सितम्बर को दिल्ली के सफदरगंज में युवती जिंदगी की जंग हार गई
पीड़िता का आरोप
दरअसल, ये केस पीड़िता के बयान के आधार पर दर्ज हुआ था. जिसमें पीड़िता ने चार युवकों पर आरोप लगाया था. पीड़िता ने आरोप के बाद संदीप, रामू, लवकुश और रवि को इस केस में नामजद किया था. जिसके बाद हाथरस पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया. हालांकि इस घटना के बाद यूपी पुलिस पर कई सवाल खड़े किए हैं.
बूलगढ़ी गांव में रहस्यमयी सुगबुगाहट
उधर बुधवार से ही (गुरुवार 2 मार्च 2023 को मुकदमे में फैसला आने की खबर से एक दिन पहले ही) गांव बूलगढ़ी की गलियों में झांककर देखा तो, वहां सब कुछ शांत मगर अंदर ही अंदर एक अजीब सी मनहूसियत पसरी सी महसूस की जाने लगी. दलित जाती के गली-घरों में वहां के लोग एक दूसरे के घरों में चौपालों पर जमघट लगाए देखे गए. उधर दूसरी ओर मुलजिम पक्ष यानी सवर्ण जाति की चौपालों, घरों के बाहर उनके अपने-अपने धीरे धीरे मुंह ही मुंह में आपस में फुसफुसाते देखे सुने गए. मतलब, फैसला की उम्मीद से ही गांव में एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है. वो सन्नाटा जो कुछ बोलकर माहौल को चीर डालना तो चाहता है, मगर पहले बोलकर बिल्ली के गले में घंटी बांधने को कोई राजी नही हैं.
गांव में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
2 मार्च की सुबह अदालत के फैसले सम्बंधी तारीख को लेकर प्रकरण के चारों आरोपियों को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सुबह 11 बजे न्यायालय लाया गया. इसी दौरान वादी पक्ष की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा कोर्ट पहुंची. इधर, पुलिस ने सुरक्षा व कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए बूलगढ़ी गांव में मीडिया, गांव के बाहरी लोगों, राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी आदि के प्रवेश पर रोक लगा दी. गांव में भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं. इधर, हाथरस कोर्ट को भी छावनी में तब्दील कर दिया गया है. पुलिस- प्रशासन के अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था में लगे हुए हैं
मुजरिम और पीड़ित पक्ष की उम्मीदें
शिकार बनाई जा चुकी लड़की के परिवार को उम्मीद है कि, कोर्ट ने अगर मुजरिमों को सजा मुकर्रर कर दी, तो उनकी बहन-बेटी की आत्मा को शांति और लड़की के अपनों के जख्मों पर मरहम लग सकेगा. जबकि दूसरी ओर सवर्ण जाति के मुलजिम पक्ष को चिंता है कि अगर उनके अपनों को सजा हो गई तो, फिर समाज में वे मुंह दिखाने के काबिल कैसे बचेंगे? खामोशी का लबादा ओढ़े बैठे दोनो ही पक्ष चिंतित तो हैं. मगर उनकी चिंताएं अपने-अपने हिसाब और फायदे के मुताबिक हैं.