वेतन बढ़ाने, नियमित करने और अन्य मांगों को लेकर संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल से स्वास्थ्य केंद्रों के ताले ही नहीं खुल रहे हैं। इससे टीकाकरण समेत अन्य स्वास्थ्य सेवाएं चरमारा गई हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंचने वाले लोग निराश होकर लौट रहे हैं। दूसरी तरफ संविदा स्वास्थ्य कर्मियों का मांगों को लेकर आंदोलन जारी है। वे क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। इंदौर में 900 से अधिक स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर हैं।
स्वास्थ्य केंद्र बंद होने से लोगों को परेशानियों का सामने करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को हो रही है। सोमवार को जिले के 200 से अधिक कार्यकर्ता भोपल पहुंचे। एनएचएम संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी संघ की जिला अध्यक्ष नीतू केल्दे ने बताया कि सरकार द्वारा उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं किए जाने से संघ क्रमिक भूख हड़ताल कर रहा है। मांगों को लेकर कई बार ज्ञापन दे चुके हैं। इसके पूर्व भी जब आंदोलन किया था तो शासन की ओर से आश्वासन देकर खत्म करवाया गया था, लेकिन मांगों को कई महीनों बाद भी माना नहीं गया है।
केंद्रों पर टीकाकरण और अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कई केंद्रों पर तो ताले ही नहीं खुल रहे हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके नहीं लग पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि शहर हो या गांव सभी जगह स्वास्थ्य केंद्रों पर टीके लगाने की संपूर्ण जिम्मेदारी संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की ही है, लेकिन करीब एक महीने से भी अधिक से हड़ताल चल रही है। लगातार प्रदर्शन और आंदोलन किया जा रहा है।
आशा-उषा कार्यकर्ता भी डटे
वेतन बढ़ोतरी, नियमितीकरण समेत अन्य मांगों को लेकर 50 दिनों से भी अधिक समय से आशा-उषा कार्यकर्ताओं का भी आंदोलन जारी है। इससे स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव, दवा पिलाने आदि कई कार्य नहीं हो पा रहे हैं। आशा सहयोगी एकता यूनियन की कविता सोलंकी ने बताया कि कार्यकर्ता लगातार सीएमएचओ कार्या