सुप्रीम कोर्ट सुनाएगी आज अरविंद केजरीवाल की याचिका पर फैसला

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल काफी समय से सलाखों के पीछे हैं. उन्हें दिल्ली शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया गया है. अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत ने रिहायत दे दी थी लेकिन ED के द्वारा निचली अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिसके बाद उनकी रिहाई नहीं हो सकी. अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी पहली रिमांड और गिरफ्तारी के फैसले को चुनौती दी है.

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दिल्ली शराब घोटाले के मामले में गिरफ्तार

कोर्ट ने ED से मांगा जवाब

शराब घोटाले के केस में फंसे अरविंद केजरीवाल ने अब अपनी गिरफ्तारी और रिमांड को लेकर सवाल उठाए हैं. जिसके चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इन विषयों को लेकर चुनौती दी है जिस पर आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला देगी. 12 जुलाई की सूची देते हुए अदालत की वेबसाइट पर बताया गया है कि जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता में अरविंद केजरीवाल के द्वारा दी गई याचिका पर अपना फैसला सुनाया जाएगा. जस्टिस संजीव खन्ना के साथ-साथ दीपंकर दत्ता भी इसमें शामिल होंगे.

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अरविंद केजरीवाल

हाई कोर्ट ने रखा गिरफ्तारी को बरकरार

अरविंद केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाहिर की थी. जिसके चलते अदालत में केजरीवाल की धन शोधन मामले में गिरफ्तारी को लेकर ED से 15 अप्रैल को जवाब मांगा था. यह चुनौती 9 अप्रैल को आए अदालत के आदेश को आम आदमी पार्टी के संयोजक द्वारा दी गई थी. दिल्ली के प्रधानमंत्री का अहम पद संभाल रहे अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को बनाए रखते हुए हाई कोर्ट ने कहा था कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और एड के द्वारा बार-बार उन्हें जांच के लिए बुलाए जाने पर भी उनका जांच में शामिल न होना ED के लिए कोई और रास्ता नहीं छोड़ता था.

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अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को धन संशोधन मामले में ED द्वारा गिरफ्तार किया गया

निचली अदालत से मिली थी रिहायत

दिल्ली के मुख्यमंत्री का अहम पद संभाल रहे अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को धन संशोधन मामले में ED द्वारा गिरफ्तार किया गया था. हालांकि उन्हें 20 जून को निचली अदालत से जमानत मिल गई थी. लेकिन अगले ही दिन उनके रिहा होने से पहले ED द्वारा हाई कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दे दी गई थी. जिसमें ED ने निचली अदालत पर भी उनकी बात रखने का मौका न देने की बात भी कही थी. साथ ही यह भी कहा गया था कि निचली अदालत का फैसला एक तरफ है जो की बिल्कुल गलत है.

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