नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। एक जनहित याचिका दायर कर यह निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए। कांग्रेस सहित देश की 19 विपक्षी पार्टियां भी खुलकर प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने वाले उद्घाटन का विरोध कर रही है। इस कारण उन्होंने इस कार्यक्रम से दूरी बनाने का निर्णय लिया है।
19 पार्टियों ने किया है बहिष्कार का एलान
कांग्रेस ने संसद के नए भवन के उद्घाटन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘एक व्यक्ति के अहंकार और खुद के प्रचार की आकांक्षा’ ने देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति को इस भवन का उद्घाटन करने के संवैधानिक विशेषाधिकार से वंचित कर दिया है। कांग्रेस के इस बयान से एक दिन पहले ही कांग्रेस, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने मोदी द्वारा संसद के नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के फैसले की घोषणा की थी। विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की मौजूदा सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है।
विपक्ष इस मामले में दिख रहा एकजुट
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करेंगे, तो उनकी पार्टी इसका विरोध करेगी। नए संसद भवन के पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन का कांग्रेस, TMC, RJD समेत 19 पार्टियों ने विरोध किया है। 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह का इन पार्टियों ने बहिष्कार करने की बात कही है। उन्होंने मांग की है कि इसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया जाना चाहिए।
NDA ने विपक्ष पर किया पलटवार
विपक्ष के नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के बाद, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने भी तीखा पलटवार किया है। एनडीए ने विपक्ष के रुख को लोकतांत्रिक लोकाचार और देश के संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान बताया है।