CBI और ED जैसी केंद्रीय एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल को लेकर 14 विपक्षी दलों की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। याचिका में विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल का आरोप लगाया गया था और भविष्य के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी। CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने बुधवार को कहा कि राजनेताओं के लिए अलग से गाइडलाइन नहीं बनाई जा सकती। विपक्षी दलों ने कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद अपनी याचिका वापस ले ली।
“सबके लिए एक है कानून “- डी. वाई. चंद्रचूड़
सीजेआई डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, ‘आपके आंकड़े अपनी जगह सही हैं, लेकिन क्या राजनेताओं के पास जांच से बचने का कोई विशेषाधिकार है! आखिर राजनेता भी देश के नागरिक ही हैं.’ इसके बाद सिंघवी ने कहा, ‘मैं भावी दिशा-निर्देश मांग रहा हूं… यह कोई जनहित याचिका नहीं है, बल्कि 14 राजनीतिक दल 42 प्रतिशत मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और यदि वे प्रभावित होते हैं, तो लोग प्रभावित होते हैं…’
इसपर पीठ ने कहा, ‘राजनेताओं के पास कोई विशेषधिकार नहीं है. उनका भी अधिकार आम आदमी की तरह ही है. क्या हम सामान्य केस में ये कह सकते है कि अगर जांच से भागने/दूसरी शर्तों के हनन की आशंका न हो, तो किसी शख्स की गिरफ्तारी न हो. अगर हम दूसरे मामलों में ऐसा नहीं कह सकते, तो फिर राजनेताओं के केस में कैसे कह सकते हैं.’
विपक्षी दलों ने याचिका ली वापस।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई से इनकार किए जाने के बाद विपक्षी दलों ने इस याचिका को वापस ले लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नेताओं के लिए अलग-अलग दिशानिर्देश नहीं बनाए जा सकते हैं। इस याचिका में विपक्षी दलों ने तर्क दिया था कि सीबीआई और ईडी का केंद्र सरकार दुरुपयोग कर रही है और संस्थाएं विपक्षी दलों को निशाना बनाकर कार्रवाई कर रही है।
इलाज राजनीति में ही , कोर्ट में नहीं।
CJI ने यह भी कहा कि जब आप ये कहते हैं विपक्ष का महत्व कम हो रहा है तो इसका इलाज राजनीति में ही है, कोर्ट में नहीं। CJI ने यह भी कहा कि कोर्ट के लिए तथ्यों के अभाव में सामान्य गाइडलाइन जारी करना खतरनाक होगा।
बता दें कि कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर CBI और ED के मनमाने इस्तेमाल का आरोप लगाया था। याचिका में इन दलों ने गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत को लेकर नई गाइडलाइन जारी करने की मांग की थी।