सरकारी स्कूल में होगी केवाइसी तैयार

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जिस तरह से बैंक अपने ग्राहकों की केवाइसी (नो योर कस्टमर) करते हैं और उनकी पूरी जानकारी प्राप्त करते हैं। उसी तरह से टीटी नगर स्थित माडल हायर सेकंडरी स्कूल में भी सभी विद्यार्थियों की केवाइसी तैयार की जा रही है। यह प्रदेश का पहला सरकारी स्कूल है, जहां पर विद्यार्थियों की केवाइसी तैयार की जा रही है। इसमें प्रत्येक कक्षा के सभी विद्यार्थियों के माता-पिता से लेकर पूरी पारिवारिक, आर्थिक, सामाजिक पृष्ठभूमि प्राप्त की जाती है। स्कूल ने करीब दो हजार विद्यार्थियों की पर्सनल प्रोफाइल तैयार की है। इस केवाइसी को स्कूल में स्थापित साइकोलाजी लैब में काउंसलर के पास भेजकर ऐसे बच्चों को चिह्नित किया जाता है, जो मानसिक रूप से अधिक परेशान हैं। फिर काउंसलर की मदद से ऐसे बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें तनाव से उबारने और बेहतर प्रदर्शन के लिए कदम उठाए जाते हैं।

माडल स्कूल की प्राचार्य रेखा शर्मा ने एक साल पहले इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। विभाग से अनुमति के बाद बच्चों की प्रोफाइल तैयार करानी शुरू की गई। प्रोफाइल में बच्चे का नाम, पता, उसके माता-पिता, भाई-बहनों की पूरी जानकारी के साथ उसकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि भरवाई जाती है। विद्यार्थी से उसकी ताकत और कमजोरी पूछने के साथ वह भविष्य में क्या बनना चाहता है, उसके क्या सपना है, उसको पूरा करने में क्या दिक्कत आ रही है। इसका पूरा ब्यौरा दर्ज किया जाता है। इसके अलावा वे मां व पिता में से किसे अधिक प्यार करते हैं, इसके पीछे कारण क्या है। घर में उनका भावनात्मक संबल कौन है? स्कूल में वे किसे सबसे ज्यादा पसंद करते हैं, कौन से शिक्षक बच्चे से ज्यादा प्रभावित हैं। कौन सा बच्चा उनको अपना प्रतिस्पर्धी लगता है, जैसी जानकारी भी इस प्रोफाइल में दर्ज की गई है।

30 प्रतिशत बच्चे मानसिक पीड़ा से ग्रसित।

माडल स्कूल में जनवरी 2022 से एक साइकोलाजी लैब शुरू हुई है। वहां विद्यार्थियों की पर्सनल काउंसलिग कर उन्होंने तनाव से निपटने में मदद दी जाती है। अब प्रोफाइल बनाकर बच्चों को चिह्नित करने का कदम उठाया जा रहा है। अभी तक करीब 30 प्रतिशत विद्यार्थी मानसिक पीड़ा से ग्रसित मिले हैं। चिह्नित बच्चों की काउंसलिंग शुरू कर दी गई है, ताकि वे तनाव से उबर सकें और हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से परेशान।

काउंसलर शबनम खान ने बताया कि चिह्नित बच्चों में बड़ी संख्या परिवार की आर्थिक स्थिति से परेशान बच्चों की है। इन्हें लगता है आगे पढ़ाई कैसे कर सकेंगे, करियर कैसे बनेगा, वे क्या करेंगे? ऐसे में इन्हें अपना भविष्य अंधकारमय नजर आता है। चार बच्चों में अवसाद के लक्षण दिखे, जिनके मन में नकारात्मक कदम उठाने के विचार भी आ रहे थे। उनकी काउंसलिंग कर उन्हें इससे उबरने में मदद की है। पारिवारिक कलह और किशोर अवस्था में आकर्षण की भावनाओं से उलझे विद्यार्थी भी मिले हैं। इन बच्चों की एक विशेष टूल किट की मदद से काउंसलिंग की जाती है। इस टूल किट के जरिए पर्सनालिटी टेस्ट, इंट्रेस्ट टेस्ट, एप्टीट्यूड टेस्ट, डिप्रेशन टेस्ट, डेवलपमेंट टेस्ट सहित 50 से ज्यादा टेस्ट लिए जाते हैं। इन टेस्ट के लिए 50 प्रकार की टूल किट (मनोविज्ञानी परीक्षण करने की विधि) इस लैब में मौजूद हैं।

इनका कहना है

इस प्रोफाइल के माध्यम से पर्सनल काउंसलिंग कर अब तक चार बच्चों को बचाया है, जो आत्महत्या के विचारों से घिर गए थे। अब वे बच्चे सामान्य हैं और पढ़ाई में भी अच्छा कर रहे हैं।

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